
तिरुवनंतपुरम। देश में अब तक शहरों के नाम बदलने का दौर चल रहा था, लेकिन अब राज्य का नाम बदलने की भी तैयारी हो गई है। देवभूमि केरल का नाम केरलम करने का प्रस्ताव यहां की विधानसभा में बहुमत से पास हो गया। अब इसे मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने सदन में प्रस्ताव पेश किया, जिस पर कांग्रेस की अगुवाई वाले विपक्ष ने बिना किसी आपत्ति के पारित हो जाने दिया। मुख्यमंत्री का कहना है कि केरल का मूल नाम भाषाई आधार पर केरलम है और हमारी मांग है कि सभी दस्तावेजों में इसे केरलम ही लिखा जाए। केंद्र सरकार हमारी मांग को जल्द पूरा करने की कोशिश करे।
नाम में बदलाव इसलिए
कई लिखित दस्तावेजों के अनुसार केरल नाम का उपयोग 257 वर्ष ईसा पूर्व से यानी सम्राट अशोक द्वितीय के समय से किया जाता रहा है। यहां के स्थानीय शासकों को भी केरलपुत्र यानी केरल के बेटे की संज्ञा दी जाती थी। इधर केरलम शब्द की बात की जाए तो विशेषज्ञ इसे चेरम शब्द से उत्पन्न नाम मानते हैं। जर्मन शोधार्थी डॉ हर्मन गुंडर्ट ने अपनी इंग्लिश मलयालम डिक्शनरी में भी इसी ओर इशारा किया है। उनके अनुसार चेरम एक स्थान है जो गोकर्णम और कन्याकुमारी के बीच है। उनके अनुसार शब्द की उत्पत्ति के मूल में चेर शब्द है, जिसका मतलब जोडना है। अब संयुक्त चेरलम शब्द पर विचार किया जाए तो समझा जा सकता है चेर मतलब जोडना और आलम मतलब भूमि है। यानी जोडने वाली भूमि।
लंबे समय से उठती रही है मांग
इधर केरल में मलयालमभाषी लंबे समय से अपने अलग राज्य की मांग उठाते रहे हैं। वे मुख्य रूप से त्रावणकोर, कोच्चि और मालाबार को एक राज्य के तौर पर अलग कर अपनी पहचान अलग रखना चाहते हैं। अब नाम परिवर्तन के जरिए यह मांग िफर जोर पकड सकती है।