एक देश-एक चुनाव: स्टालिन बोले—जो समिति ​बनाई है वो भाजपा की बात सुनेगी, ये तानाशाही है

केंद्र सरकार के कमेटी गठित करते ही राजनीति शुरू, सरकार अपने तर्क पर अडी

नई दिल्ली। देश में एक बार फिर राजनीतिक रस्साकशी शुरू हो गई है। एक देश-एक चुनाव’ के मुद्दे पर केंद्र सरकार को सभी विपक्षी दल आडे हाथ ले रहे हैं। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (ट्विटर) पर लिखा कि इंडिया यानी भारत, यह राज्यों का संघ है। ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ का आइडिया संघ और राज्यों पर हमला है। इधर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि एक देश-एक चुनाव को भाजपा की साजिश बताया। ये भी कहा कि वो (भाजपा सरकार) कहते हैं कि इससे चुनावी खर्च में कमी आएगी, लेकिन इससे पहले वे अपना भ्रष्टाचार रोकें। केंद्र ने पूर्व राष्ट्रपति को कमेटी का अध्यक्ष बनाया है। उन्हें इससे राजनीति को दूर रखना चाहिए। जो कमेटी बनाई गई है, वो भाजपा की बात को ही फॉलो करेगी। यह तानाशाही है। वे इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (INDIA) से डर गए हैं। इधर सरकार ने कहा है कि हर साल और बिना तय समय के होने वाले चुनाव रुकने चाहिए। सरकार ने कहा कि एक बार फिर 1951-52 से 1967 तक चली एक देश एक चुनाव की व्यवस्था की ओर लौटना चाहिए। लोकसभा और विधानसभाओं के लिए चुनाव में पांच साल में एक बार होना चाहिए।

कमेटी के नामों पर आपत्ति
‘एक देश-एक चुनाव’ के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनाई गई समिति के लिए सरकार ने शनिवार को आठ सदस्यों का नाम जारी किया। इनमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और राज्यसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी का नाम शामिल रहा। इनके अलावा समिति में 15वें​ वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव डॉ. सुभाष कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी भी हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य और विधि विभाग के सचिव नितेन चंद्र समिति के सचिव होंगे। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को समिति में शामिल न करने पर ऐतराज जताया गया है।

समिति के कामकाज की अधिसूचना भी जारी
सरकार ने शनिवार को ही समिति के कामकाज की अधिसूचना भी जारी की। इसके मुताबिक, समिति यह भी देखेगी कि इसके लिए राज्यों की सहमति कितनी जरूरी है या कितने राज्यों की सहमति जरूरी होगी। कांग्रेस ने इस समिति को संसदीय लोकतंत्र को खत्म करने की साजिश बताया। शनिवार रात अधीर रंजन चौधरी ने कमेटी में शामिल होने से इनकार करते हुए कहा कि नतीजे पहले से ही तय हैं।

अधीर रंजन बोले: नतीजे पहले से तय हैं
कमेटी में नाम आने के बाद अधीर रंजन ने गृहमंत्री अमित शाह को लेटर लिखा। उन्होंने कहा कि मैं इस समिति में काम नहीं करूंगा। इसका गठन ऐसे किया गया है कि नतीजे पहले से तय हो सकें। आम चुनाव से पहले ऐसी समिति सरकार के गुप्त मंसूबों की ओर इशारा करती है, जिसमें संवैधानिक रूप से एक संदिग्ध व्यवस्था को लागू करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को शामिल नहीं करना संसदीय लोकतंत्र का अपमान है।

 

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