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इतनी हिमाकत: खुद का देश बर्बाद हो रहा और भारतीयों को कह रहे कम बुद्धि वाले

यूक्रेन—रूस युद्ध पर स्पष्ट नीति जाहिर नहीं करने पर साधा निशाना

नई दिल्ली। रूस के साथ दो साल से भी ज्यादा समय से युद्ध में फंसे यूक्रेन के एक राजनेता ने भारत के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की है। यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के एडवाइजर मिखाइलो पोडल्यक ने बुधवार को अपने एक बयान में भारत और चीन के लोगों की बौद्धिक क्षमता पर ही सवाल उठा दिए। रूस के मीडिया स्पूतनिक के एक आर्टिकल में छपे एक बयान के मुताबिक जेलेंस्की के एडवाइजर ने कहा है कि भारत और चीन के लोग की बौद्धिक क्षमता कम है और वो ये बात नहीं समझ पाते हैं कि उनके एक्शन का क्या परिणाम होगा।

चंद्रयान—3 भेजा, लेकिन आधुनिक दुनिया नहीं समझते
पोडल्यक ने बयान में कहा कि भारत ने चंद्रयान-3 मिशन भेजा है। उनका रोवर चंद्रमा की सतह पर घूम रहा है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि ये देश इस बात को समझ पा रहे हैं कि आधुनिक दुनिया क्या है। भारत और चीन अभी तक यह तय ही नहीं कर पा रहे हैं कि यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर उनका रुख क्या है।

चीन भी आगबबूला
इस आपतित्तजनक बयान पर चीन भी आगबबूला है। पोडल्यक के बयान पर चीन के विदेश मंत्रालय ने जवाब तलबी कर पूछा कि यूक्रेनी अधिकारी को यह साफ करना होगा कि इस बयान से उनका क्या मतलब था। उन्हें जंग के संदर्भ में चीन के रुख को सही तरह से समझने की जरूरत है। हालांकि चीन के रुख के बाद पोडल्यक दबाव में आ गए और उन्हें इस पर सफाई देनी पडी। भारत की ओर से अभी तक इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

अब जवाब में कर रहे तारीफ
विवाद बढने पर पोडल्यक ने कहा कि भारत, चीन और तुर्किये दुनिया के विकास में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। ये देश ऐतिहासिक, आर्थिक, वैज्ञानिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक तौर पर अहम हैं। इन क्षेत्रों में भारत-चीन की भूमिका रूस मुद्दे की तुलना में कहीं ज्यादा अहम है।

जी-20 घोषणा पत्र पर भी दिया था विवादित बयान
इससे पहले यूक्रेन ने जी-20 समिट के दौरान जारी किए गए घोषणा पत्र पर सहमित बनने के बाद कहा था कि इसमें कुछ गर्व की बात नहीं है। अगर हम समिट में शामिल होते तो लोगों को हालात के बारे में सही जानकारी मिल पाती। दरअसल, नवंबर 2022 में बाली समिट में के घोषणा पत्र में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर सदस्य देशों में सहमति नहीं बन पाई थी। तब रूस और चीन ने अपने आप काे युद्ध के बारे में की गई टिप्पणियों से अलग कर लिया था। तब घोषणा पत्र के साथ ही इन देशों की लिखित असहमति शामिल की गई थी।

 

 

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