नई दिल्ली। देश की सबसे बडी पंचायत यानी संसद में महिलाओं की भागीदारी को लेकर सबसे अहम चर्चा छिडी हुई है। नई संसद में महिला आरक्षण विधेयक यानी नारीशक्ति वंदन विधेयक पेश हो चुका है। हालांकि इस आरक्षण में भी ओबीसी को अलग से आरक्षण देने की मांग के तूल पकडने से मामला थोडा पेचिदा होता जा रहा है। इधर कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी वर्ग की महिलाओं को इस बिल में आरक्षण देने की मांग उठाई है।
क्या है मामला
संसद और विधानसभाओं में महिलाओं की 33 प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित करने के इरादे से नारीशक्ति वंदन विधेयक संसद में लाया गया है। संसद की राज्यसभा में इसे 2010 में ही पारित कर दिया गया है, लेकिन उस समय लोकसभा में इसे पास नहीं कराया जा सका था। अब मोदी सरकार इस विधेयक को पुन: लोकसभा में लाई है। लोकसभा में बुधवार को कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी ने कहा कि ये कानून मेरे पति राजीव गांधी का सपना था। ये मेरे लिए मार्मिक क्षण है। हम चाहते हैं कि यह कानून जल्द पारित कर लागू किया जाए, क्योंकि अब इसमें देरी होना महिलाओं के लिए खिलाफ नाइंसाफी होगी।
कहां फंस रहा है पेंच
सन 2010 में जब यह बिल लोकसभा में लाया गया था, तब समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल ने इसमें ओबीसी को अलग से कोटा देने की मांग उठाते हुए पेंच फंसाया था। इन दलों ने ऐसा नहीं होने पर यूपीए से समर्थन वापस लेकर सरकार गिरा देने की धमकी तक दी थी। तब इसे पारित नहीं किया जा सका था। अब मोदी सरकार इसे पुन: लेकर आई है, लेकिन पेंच अभी भी ओबीसी आरक्षण को लेकर फंसा है। अब सरकार के सामने परेशानी यह है कि उसके गठबंधन में भी कई पार्टियां ऐसी हैं, जो ओबीसी आरक्षण को लेकर ताल ठोक रही हैं। सभी को साधना सरकार के लिए आसान नहीं होगा।