क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय पंचायत दिवस, जानें जरूरी तथ्य…

24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायत दिवस मनाया जाता है। इसी दिन 1992 में पारित 73वां संविधान संशोधन अधिनियम भी मनाया जाता है। आखिर 24 अप्रैल को क्यों मनाया जाता है पंचायत दिवस और क्या है इसके कारण। दरअसल वर्ष 1957 में केंद्रीय बिजली व्यवस्था में सुधार लाने के लक्ष्य के साथ बलवंतराय मेहता की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था। अध्ययन के अनुसार समिति ने एक विकेंद्रीकृत पंचायती राज पदानुक्रम का सुझाव दिया, जिसमें ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायतें, ब्लॉक स्तर पर पंचायत समिति और जिला स्तर पर जिला परिषद का गठन हो। समिति के सुझावों के बाद तत्कालीन सरकार ने इस पर निर्णय लेते हुए पंचायत राज की व्यवस्था पर जोर दिया। इसके बाद से 24 अप्रैल को यह दिन मनाया जाने लगा।
लॉर्ड रिपन को माना जाता है इसका जनक-
पंचायत शब्द दो शब्दों पंच और आयत से मिलकर बना है। पंच का अर्थ है पांच और आयत का अर्थ है सभा। पंचायत को पांच सदस्यों की सभा कहा जाता है जो स्थानीय समुदायों के विकास और उत्थान के लिए काम करते हैं और स्थानीय स्तर पर कई विवादों का हल निकालते हैं। पंचायती राज व्यवस्था का जनक लॉर्ड रिपन को माना जाता है। रिपन ने 1882 में स्थानीय संस्थाओं को उनका लोकतांत्रिक ढांचा प्रदान किया था। अगर देश में किसी गांव की हालत खराब है तो उस गांव को सशक्त और विकसित बनाने के लिए ग्राम पंचायत उचित कदम उठाती है। बलवंत राय मेहता समिति के सुझावों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सबसे पहले 2 अक्टूबर 1959 को राजस्थान के नागौर जिले में पंचायती राज व्यवस्था को लागू किया था। इसके कुछ दिनों के बाद आंध्र प्रदेश में भी इसकी शुरुआत हुई थी। इसके बाद धीरे-धीरे पंचायतराज व्यवस्था संपूर्ण देश में लागू की गई। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 40 में कहा गया है कि “राज्य ग्राम पंचायतों को संगठित करने के लिए कदम उठाएगा और उन्हें ऐसी शक्तियां और अधिकार प्रदान करेगा जो उन्हें स्वशासन की इकाइयों के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाने के लिए आवश्यक हो।”
इस दिन हुआ था 73वां संविधान संशोधन-
बता दें कि पंचायती राज मंत्रालय हर वर्ष 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाता है, क्योंकि इस दिन 73वां संविधान संशोधन लागू हुआ था। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस को बड़े पैमाने पर एक भव्य आयोजन के रूप में मनाया जाता है और आमतौर पर इसे राष्ट्रीय राजधानी से बाहर आयोजित किया जाता है। 2014 के बाद से केंद्र सरकार ने पंचायती राज संस्थानों को सर्वाेत्तम तरीके से समर्थन देने के अपने प्रयासों में और तीव्रता वृद्धि की है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पंचायती राज के मूल उद्देश्यों को सही मायने में हासिल किया जा सके। केंद्र सरकार पंचायती राज संस्थाओं को सक्षम और सशक्त बनाने, उनकी भूमिका और जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों की क्षमता बढ़ाने और समावेशी विकास, आर्थिक विकास और उपलब्धि को हासिल करने की दिशा में योगदान करने के लिए पंचायती राज संस्थाओं की दक्षता, कार्यप्रणाली की पारदर्शिता और उत्तरदायित्व में सुधार के लिए कई पहल कर रही है।
इसलिए बनी पंचायतोें की महत्ता-
– गरीबी मुक्त और बढ़ी हुई आजीविका गांव,
– स्वस्थ गांव
– बच्चों के अनुकूल गांव
– जल पर्याप्त गांव
– स्वच्छ और हरित गांव
– आत्मनिर्भर बुनियादी ढांचे वाला गांव
– सामाजिक रूप से न्यायपूर्ण और सामाजिक रूप से सुरक्षित गांव
– सुशासन वाला गांव
– महिला मित्र गांव