नई दिल्ली
गोवा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की नजर पारंपारिक धर्मनिरपेक्ष वोट पर है। पार्टी इस वोट को एकजुट बनाए रखने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही है। मगर, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के चुनाव लड़ने से कांग्रेस के समीकरण बिगड़ सकते हैं, क्योंकि इससे वोट बंटने के आसार हैं। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच सिर्फ चार फीसदी वोट का फासला था। चालीस सीट वाली विधानसभा में दस सीट पर हार-जीत का अंतर एक हजार से कम था। इन दस में से पांच सीट पर कांग्रेस और चार सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। जबकि एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार कांग्रेस के प्रत्याशी को शिकस्त देने में कामयाब रहा।
इस बार आम आदमी पार्टी न कर दे कमाल
गोवा प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता मानते हैं कि चुनाव 2017 के मुकाबले ज्यादा मुश्किल है। आम आदमी पार्टी ने पिछले चुनाव में भी किस्मत आजमाई थी, आप को कोई सीट नहीं मिली थी, पर छह फीसदी वोट हासिल करने में सफल रही थी। यह कांग्रेस व भाजपा के बीच अंतर से ज्यादा है।
टीएमसी ने कांग्रेस के लिए बढ़ा दी चुनौतियां
तृणमूल कांग्रेस और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) गठबंधन में चुनाव लड़ रही है। पिछले चुनाव में एमजीपी को तीन सीट और 11 प्रतिशत वोट मिला था। ऐसे में टीएमसी और एमजीपी गठबंधन चुनाव में कांग्रेस की मुश्किल बढ़ा सकता है। क्योंकि, एमजीपी का अपना वोट बैंक है।
इससे के साथ कांग्रेस के पास बहुत अच्छे उम्मीदवारों की भी कमी है। वर्ष 2017 में कांग्रेस को 17 सीट मिली थी, पर पिछले पांच साल में ज्यादातर विधायक साथ छोड़ चुके हैं। यह विधायक किसी और पार्टी में शामिल हो चुके हैं। इससे पार्टी की चुनावी राह और मुश्किल हो गई है। इस सबके बावजूद कांग्रेस गोवा में उम्मीद की किरण दे रही है। चुनाव रणनीति से जुड़े प्रदेश कांग्रेस के एक नेता के मुताबिक, पिछले बार की तरह इस बार भी लोग दिल्ली और कोलकाता की पार्टी को वोट नहीं करेंगे। बेरोजगारी, महंगाई और सांप्रदायिक हिंसा चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बनेंगे।