भोपाल
बूथ विस्तारक योजना में हर कार्यकर्ता की डिजिटल रिपोर्ट तैयार करने में जुटी भाजपा प्रदेश के 37 हजार ऐसे पोलिंग बूथ पर सर्वाधिक काम करेगी जहां विधानसभा चुनाव 2018 में भाजपा को या तो कम वोट मिले हैं या फिर इन बूथों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। साथ ही जीत दिलाने वाले करीब 28 हजार बूथों पर भी पार्टी को जीत का सेहरा बनाए रखने की चुनौती है।
विधानसभा चुनाव 2023 की तैयारियों में जुटी भाजपा दस फीसदी वोट वृद्धि के लिए बूथ विस्तारक योजना पर काम कर रही है। इस योजना के अंतर्गत विस्तारक ऐसे लोगों से संपर्क करेंगे जो भाजपा को वोट नहीं करते। साथ ही उन लोगों पर भी फोकस रहेगा जो न तो भाजपा और न कांग्रेस को समर्थन करते हैं। ऐसे वोटर को साध कर वोट प्रतिशत बढ़ाया जाना है। भाजपा इसी के मद्देनजर 20 से 30 जनवरी के बीच संगठन विस्तार के लिए अभियान चलाने जा रही है। इसके लिए संभागस्तर पर पांच और छह जनवरी को मंडल विस्तारकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है और ग्राम-नगर केंद्र स्तर पर विस्तारकों का प्रशिक्षण 16 व 17 जनवरी को होने वाला है। अभियान में सीएम शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा समेत पार्टी के छोटे से छोटे कार्यकर्ता तक की भागीदारी तय की जा रही है।
2018 के चुनाव में कुल पोलिंग बूथ 65 हजार से अधिक थे। इस चुनाव में डाक और ईवीएम से 3.81 करोड़ वोटर्स द्वारा 74.64 प्रतिशत मतदान किया गया था जिसमें भाजपा को 1.56 करोड़ यानी 41.02 प्रतिशत और कांग्रेस को 1.55 करोड़ यानी 40.89 प्रतिशत वोट मिले थे। यानी 2.25 करोड़ वोट कांग्रेस और अन्य 119 क्षेत्रीय दलों समेत नोटा को गए थे और भाजपा को कम मिले वोट का प्रतिशत 59.05 था। बूथ पर पड़े 3.78 करोड़ वोट के हिसाब से एक बूथ में औसत वोटर 575 से 600 के बीच थे और इस हिसाब से 28 हजार पोलिंग बूथ से भाजपा को जीत मिली जबकि 37 हजार बूथ पर या तो बीजेपी हारी या उसे कम वोट मिले हैं। अब इन्हीं हार वाले या कम जीत वाले बूथों पर भाजपा की निगाहें हैं।
भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की 26 नवम्बर 21 को हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि पार्टी को 2018 के विधानसभा चुनाव में 1.56 करोड़ वोट मिले हैं जो कुल वोट प्रतिशत का 41 प्रतिशत है। इस वोट प्रतिशत को दस फीसदी बढ़ाने के लक्ष्य के साथ काम करना है और बूथ विस्तारक योजना इसमें प्रभावी साबित होगी। अब इस दस की बजाय 12 प्रतिशत वोट प्रतिशत वृद्धि पर काम करने के लिए कहा जा रहा है।
भाजपा का फोकस उन जिलों पर भी है जहां कांग्रेस को बीजेपी से ज्यादा सीटें मिली थीं। ऐसे जिलों में छिंदवाड़ा, धार, बालाघाट, जबलपुर, नरसिंहपुर, राजगढ़ समेत अन्य जिले शामिल हैं। हालांकि अब उपचुनाव के बाद स्थितियां बदल गई हैं और जिन सीटों पर भाजपा हारी थी, वहां जीत हासिल कर वोट प्रतिशत बढ़ा चुकी है।