लखनऊ।
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव काफी अटकलों के बाद भाजपा में शामिल हो गई। राजनीतिक पर्यवेक्षक इसे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बीच धारणा की लड़ाई में भगवा पार्टी के लिए एक बढ़त के रूप में देख रहे हैं। करीब एक सप्ताह पहले जब सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा को बड़ा झटका देते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य सहित पिछड़ी जाति के मंत्रियों और विधायकों को पार्टी की सदस्यता दिलायी थी तो उन्होंने उस समय यूपी में सियासी बढ़त हासिल कर लिया था।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि भाजपा की जवाबी कार्रवाई का जमीन पर किसी भी वास्तविक लाभ की तुलना में मनोवैज्ञानिक प्रभाव अधिक पड़ेगा।सपा ने स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और धर्म सिंह सैनी के पार्टी में शामिल होने के बाद 'बीजेपी छोड़ने' की कहानी को स्थापित करने की कोशिश की थी। वहीं अपर्णा के जाने से 'यादव परिवार में दरार' की आशंका बढ़ गई है। आपको बता दें कि यह 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले की स्थिति के समान है, जब अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच दरार खुलकर सामने आई थी।
2017 में शिवपाल यादव ने छोड़ा था सपा का साथ
शिवपाल के सपा छोड़ने के बाद दरारें और चौड़ी हो गईं। उन्होंने अपना खुद का संगठन, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया (PSP-L) बनाया। भाजपा ने पारिवारिक कलह का फायदा उठाया और अखिलेश को ऐसे व्यक्ति के रूप में पेश किया जो राज्य का प्रबंधन करने में "अक्षम" था, क्योंकि वह अपने पारिवारिक विवाद को भी हल नहीं कर सका। हालांकि 2017 के चुनावों में सपा की हार के पीछे यही एकमात्र कारण नहीं था, उस समय पारिवारिक कलह चर्चा का विषय था।