शिमला।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विधानसभा चुनाव को देखते हुए हिमाचल प्रदेश में छवि निर्माण की कवायद शुरू कर दी है। प्रदेश नेतृत्व को इस बात से अवगत करा दिया है कि मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोपों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। शीर्ष नेतृत्व ने यह भी बताया है कि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में चुनाव लड़ने के लिए प्रदर्शन के अलावा एक साफ रिकॉर्ड एक निर्णायक कारक होगा।
पार्टी के एक पदाधिकारी के अनुसार, वरिष्ठ नेतृत्व ने फैसला किया है कि सत्ता विरोधी लहर को खत्म करने के लिए लगभग 30-35% मौजूदा विधायकों को हटाया जा सकता है। पार्टी के पदाधिकारी ने कहा, 'पार्टी आमतौर पर नए चेहरों और युवा उम्मीदवारों को टिकट देने की प्रथा का पालन करती है, लेकिन इस बार त्रुटिहीन रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों पर भी ध्यान दिया जा रहा है।' पार्टी मौजूदा सरकार के खिलाफ जनता की धारणा के प्रति सचेत है। पार्टी विशेष रूप से उन आरोपों को अधिक तवज्जो दे रही है जिसमें रोजगार पैदा करने भर्ती परीक्षा को निष्पक्ष तरीके से आयोजित करने में जयराम सरकार को विफल बताया जा रहा है।
जेपी नड्डा ने अपने दौरे में सरकार को किया सजग
समझा जाता है कि राज्य में चुनावी प्रक्रिया की देखरेख कर रहे पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने यह संदेश दिया है कि अनियमितताओं या भ्रष्टाचार में कोई नरमी नहीं दिखाई जाएगी। इस साल की शुरुआत में मुख्य सचिव राम सुभग सिंह समेत कुछ शीर्ष अधिकारियों पर अनियमितता के आरोप लगे थे। 2020 में पांच बार के विधायक और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा अध्यक्ष राजीव बिंदल स्वास्थ्य घोटाले में कथित आरोपी से निकटता के आरोपों के बाद इस्तीफा देना पड़ा था।
विधायकों पर भ्रष्टाचार के आरोप, सख्ती से निपटने की नसीहत
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि सरकारी योजनाओं आदि में अनियमितताओं की शिकायतों से पार्टी की किस्मत प्रभावित न हो। पार्टी के पदाधिकारी ने कहा, "उन्हें विशेष रूप से कहा गया था कि पेपर लीक घोटाले की रिपोर्ट और वरिष्ठ अधिकारियों और कुछ विधायकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों से सख्ती से निपटना होगा।" आपको बता दें कि मार्च में कांस्टेबल के पद को भरने के लिए हुई भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी की सूचना मिली थी। मामले की जांच अब सीबीआई कर रही है।