क्रिसमस के त्योहार को लेकर सर्वदलीय बैठक में केंद्र सरकार और कांग्रेस में घमासान

नई दिल्ली । संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पड़ने वाले क्रिसमस के त्योहार को लेकर सरकार और कांग्रेस आमने सामने आ गई है। सत्र से पहले सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस ने सत्र की तारीखों को लेकर सवाल उठाते हुए कहा है कि सत्र की तारीखों को तय करते समय सरकार को ईसाई समुदाय के त्योहार (क्रिसमस) की तारीख का ध्यान रखना चाहिए तो वहीं सरकार ने कांग्रेस के आरोप को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। 
सर्वदलीय बैठक के मीडिया से बात करते हुए लोक सभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने बताया कि कांग्रेस ने बैठक में सत्र की तारीख को लेकर सरकार से यह कहा कि उन्हें ऐसा करते समय ईसाई समुदाय के त्योहार (क्रिसमस) का ध्यान रखना चाहिए। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि कांग्रेस सत्र को छोटा करने की मांग नहीं कर रही है बल्कि सरकार को 7 दिसंबर की बजाय इस सत्र को पहले ही शुरू कर देना चाहिए था क्योंकि चुनावों के लिए संसद सत्र को टालने की कोई जरूरत नहीं थी।
सरकार की तरफ से कांग्रेस के आरोप का जवाब देते हुए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि कांग्रेस का आरोप दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान क्रिसमस के त्योहार के दिन 25 दिसंबर को रविवार है और उस दिन हम सब लोग क्रिसमस मनाएंगे। जोशी ने आगे कहा कि इससे पहले 24 दिसंबर को शनिवार है। इन दोनों दिन संसद की कार्यवाही नहीं होगी। विपक्ष अगर यह चाहता है कि 25 दिसंबर के बाद कोई कामकाज ही न हो तो यह गलत है लेकिन अगर उनकी तरफ से प्रस्ताव आता है तो हम एक और दिन यानी 26 दिसंबर को भी सदन की कार्यवाही को स्थगित करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कांग्रेस नेता द्वारा सरकार पर यह आरोप लगाना दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमने क्रिसमस के त्योहार को इग्नोर कर दिया है और हम उनके आरोप की भर्त्सना करते हैं। शीतकालीन सत्र को लेकर सरकार का पक्ष रखते हुए जोशी ने कहा कि देश के दो महत्वपूर्ण राज्यों में विधान सभा चुनाव हो रहे थे और लोकतंत्र के इस त्योहार को लेकर सत्र को 7 दिसंबर से शुरू करने का फैसला किया गया।