भोपाल
निकाय चुनाव में कांग्रेस ने भले ही नगर निगमों में बेहतर प्रदर्शन किया हो, लेकिन नगर पालिका और नगर परिषदों में उसका प्रदर्शन संतोष जनक नहीं रहा। वार्ड से उसके पार्षद क्यों हारे, इसकी समीक्षा अब लोकल स्तर पर शुरू हो गई है। कई विधायकों और जिला अध्यक्षों हारे हुए पार्षद उम्मीदवारों से फार्म भरवा रहे हैं कि उनकी हार के क्या कारण रहे। इधर प्रदेश संगठन ने साफ किया है कि फिलहाल उसकी प्राथमिकता उन जगहों पर अध्यक्ष-उपाध्यक्ष बनवाने की है, जहां पार्टी के लिए कुछ गुंजाईश है।
नगर पालिका और नगर परिषदों में अधिकांश शहर और कस्बों में कांग्रेस के पार्षद उम्मीदवार बड़ी संख्या में हारे हैं। कांग्रेस इस हार की समीक्षा में जुट गई है। क्षेत्र के विधायक और जिला अध्यक्ष अब अपने वार्ड पार्षदों की हार की समीक्षा में अपने स्तर पर कर रहे हैं। कुछ जगहों पर हारे हुए वार्ड उम्मीदवारों को एक फार्म दिया गया है, जिसमें कई बिंदुओं की जानकारी मांगी गई है। उनके क्षेत्र में उन्हें हार का कारण तो इसमें बताना ही होगा साथ ही किन-किन नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उनका काम नहीं किया इसकी भी जानकारी उसमें देना होगी। इसके साथ ही पार्टी को बूथ से लेकर वार्ड में क्या-क्या करना होगा यह भी सुझाव मांगा जा रहा है। इस फार्म का प्रयोग विदिशा में किया जा रहा है। कुछ और जिले भी इस तरह से समीक्षा कर सकते हैं।
इधर प्रदेश संगठन ने कहा है कि फिलहाल पार्टी का फोकस जिला और जनपद पंचायत में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के साथ ही नगर पालिका और परिषदों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव को लेकर है। इसके बाद ही समीक्षा की जाएगी।