भोपाल
मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी के भीतर राज्यसभा की एक कुर्सी के लिए तीन दावेदारों के बीच चेयर रेस शुरू हो गई है। मजेदार बात यह है कि अरुण यादव और अजय सिंह राहुल कुर्सी के लिए खुद दौड़ लगा रहे हैं जबकि विवेक तन्खा के लिए प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ प्रतियोगिता में शामिल हुए हैं।
जून 2016 में तन्खा जीत दर्ज कर राज्यसभा पहुंचे थे। उनका कार्यकाल पूरा हो रहा है। कमलनाथ चाहते हैं कि विवेक तन्खा को फिर से राज्यसभा में भेजा जाए जबकि अरुण यादव और अजय सिंह राहुल चाहते हैं कि इस बार उन दोनों में से किसी एक को मौका मिलना चाहिए। यादव के करीबियों का कहना है कि उनकी राज्यसभा जाने पर चर्चा हुई है, जिसका वादा राहुल गांधी ने 2018 में तब किया था, जब यादव को बुधनी में शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ मैदान में उतारा गया था। इस वादे के आधार पर यादव राज्यसभा जाने के लिए दबाव बना रहे हैं।
अजय सिंह को भी राज्यसभा भेजने का दबाव कमल नाथ पर बताया जा रहा है। सिंह 2018 में चुरहट विस सीट और 2019 में सीधी लोकसभा सीट से चुनाव हार गए थे। सिंह का विंध्य क्षेत्र में प्रभाव माना जाता है। राज्यसभा न भेजे जाने की दशा में 2023 के विधानसभा चुनाव में उनकी नाराजगी कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकती है। 2018 के चुनाव में कांग्रेस को विंध्य से बेहतर परिणाम मिले थे।
अब कमल नाथ के सामने संकट है कि वे तन्खा को वापस राज्यसभा में भेजते हैं तो अरुण यादव भी सिंधिया की राह पकड़ सकते हैं। यादव को राज्यसभा में जाने दिया तो खंडवा से दिल्ली के बीच में भोपाल पड़ेगा और अरुण यादव का हेडक्वार्टर भोपाल बन जाएगा। यह एक बड़ी परेशानी की बात होगी। हिंदू महासभा के बाबूलाल चौरसिया का कांग्रेस पार्टी में स्वागत करने के बाद कमलनाथ, अरुण यादव के सीधे निशाने पर आ गए थे। यदि नंदू भैया वाला घटनाक्रम नहीं होता तो कमलनाथ के खिलाफ मोर्चा खुल चुका था।
यह नोट करने वाली बात यह है कि विवेक तन्खा, कांग्रेस पार्टी संगठन के महत्वपूर्ण पदों से पहले इस्तीफा दे चुके हैं ताकि एक व्यक्ति अनेक पद के कारण उनके राज्यसभा के रास्ते में कोई रोड़ा ना आए। आखिर विवेक तंखा G-23 के सदस्य हैं। राजनीति में सिद्धांतों का प्रदर्शन अनिवार्य है।