नई दिल्ली।
सिरसा डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को मिली पैरोल को पंजाब चुनाव के बीच सियासत से जोड़कर देखा जा रहा है। क्योंकि पंजाब में डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों की अच्छी खासी तादाद है और वह डेरे के निर्देश पर वोट करते हैं। पंजाब की सियासत मे मालवा क्षेत्र अहम भूमिका निभाता है। इस क्षेत्र में विधानसभा की 69 सीटें आती हैं और इस इलाके में राम रहीम के अनुयायियों की अच्छी खासी तादाद है। पूरे प्रदेश की बात करें तो करीब तीन दर्जन सीट पर डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी हैं।
डेरा या गुरमीत राम रहीम सिंह खुल कर किसी पार्टी का समर्थन नहीं करते, पर माना जाता है कि डेरा अनुयायियों को किसी पार्टी के पक्ष में वोट करने का इशारा करता है और समर्थक वोट कर देते हैं। यही वजह है कि चुनाव आते ही डेरा सच्चा सौदा सहित पंजाब के सभी बड़े डेरों में नेता हाज़िरी लगाना शुरू कर देते हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू लगातार बेअदबी का मामला उठाते रहे हैं। इसको लेकर सच्चा सौदा के अनुयायी नाराज़ हैं।
ऐसे में गुरमीत राम रहीम सिंह को पैरोल मिलने को भाजपा का उनके प्रति नरम रुख के तौर पर देखा जा रहा है। वर्ष 2014 में डेरा ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा का समर्थन किया था और उसकी जीत में अहम भूमिका निभाई थी। इसके बाद भी कई चुनाव में डेरे ने भाजपा के साथ दिया है।
एक दल को वोट करने से असर पड़ेगा
पंजाब विधानसभा चुनाव में इस बार बहुकोणीय मुकाबला है। ऐसे में जो भी उम्मीदवार जीतेगा उसका जीत का अंतर भी कम होगा। पंजाब के राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि ऐसी स्थिति में गुरमीत राम रहीम अपने समर्थकों को किसी एक दल को वोट करने के लिए कहते हैं, तो इसका चुनाव पर असर पड़ेगा।