देहरादून
भाजपा से निष्कासित होने के बाद भी हरक सिंह रावत के तेवर नरम नहीं हुए हैं। कहा कि उत्तराखंड में कांग्रेस ही सरकार बनाएगी। रावत ने कहा कि वह कांग्रेस के लिए अब पूरी तन-मन से काम करेंगे। रावत के अनुसार, आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत पक्की है। आपको बता दें कि बीजेपी ने हरक को रविवार देर रात पार्टी से निष्कासित कर अंतिम समय में ही सही सरकार से बर्खास्त कर उनके बगावती तेवरों से हो रहे नुकसान की भरपाई करने का प्रयास किया है। भाजपा सरकार में हरक सिंह रावत पहले ही दिन से असहज नजर आ रहे थे। लेकिन अंतिम साल में उन्होंने अपने बयानों और मेल मुलाकातों से भाजपा को ही असहज करके रखा हुआ था। अब चुनाव की नामांकन प्रक्रिया शुरु होने से चंद घण्टे पहले उनकी कांग्रेस में वापसी की प्रबल संभावना को देखते हुए आखिरकार भाजपा को आखिरकार उनसे अपने रिश्ते फिर से परिभाषित करने पड़ गए हैं। इसी क्रम में सीएम पुष्कर सिंह धामी को उन्हें सरकार से बर्खास्त करने के साथ ही पार्टी ने भी उन्हें निलंबित कर दिया है। जबकि अब तक हर बार पार्टी उनकी मनोव्वल करती आ रही थी। हरक के तेवरों के आगे नरम पड़ती पार्टी के रवैये से भाजपा का मूल कैडर भी हैरान था, इस कारण पार्टी ने अब तकरीबन बेअसर हो चुकी इस कार्यवाही से अपने कैडर की भावनाओं पर मरहम लगाने का प्रयास किया है।
- 1991 पौड़ी से भाजपा के टिकट पर विधायक निर्वाचित
- 1991 कल्याण सिंह सरकार में सबसे युवा मंत्री बने
- 1993 में फिर पौडी सीट से निर्वाचित हुए
- 1995 विवादों के बीच भाजपा का साथ छोड़ा
- 1997 मायावती के नेतृत्व वाली बसपा में शामिल
- 1997 यूपी खादी ग्रामोद्योग में उपाध्यक्ष बने
- 2002 कांग्रेस से लैंसडाउन के विधायक बन
- 2002 तिवारी सरकार में कैबिनेट मंत्री बने
- 2003 जेनी प्रकरण में इस्ती़फा देना पड़ा
- 2007 फिर से लैंसडाउन के विधायक बने
- 2007 में कांग्रेस से नेता विपक्ष बनाए गए
- 2012 रुद्रप्रयाग से विधायक निर्वाचित हुए
- 2016 कांग्रेस से इस्तीफा दिया, भाजपा में वापसी
- 2017 भाजपा से कोटद्वार से विधायक बने
- 2017 भाजपा सरकार में फिर मंत्री बनाए गए
- 2022 भाजपा सरकार से बर्खास्त किए गए
हरक सिंह रावत के निष्कासन की ये हैं प्रमुख वजह
भाजपा के अनुशासन की बार बार मखौल उड़ा रहे थे हरक
कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत पिछले पाँच सालों से बार बार भारतीय जनता पार्टी के अनुशासन की मखौल उड़ा रहे थे। यही कारण रहा कि अब कांग्रेस में जाने की चर्चाओं के बीच भाजपा को उनके खिलाफ सख्त कदम उठाने को मजबूर होना पड़ा। दरअसल डॉ हरक सिंह रावत पिछले पांच सालों में कई बार पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा कर चुके थे। डॉ हरक सिंह रावत को लेकर भाजपा के ग्रास रुट कार्यकर्ताओं में पहले से ही नाराजगी थी। उनके साथ ही कॉंग्रेस से आये नेताओ को पार्टी में ज्यादा ही तवज्जो दिए जाने से पार्टी में अंदरखाने खासी नाराजगी थी। आम कार्यकार्ता बाहर से आए नेताओं को कभी भी तवज्जो नहीं चाहते थे। इसके बावजूद डॉ हरक सिंह रावत और उनके सहयोगी पार्टी को पांच सालों तक चलाते रहे। भाजपा नेतृत्व ने हर सम्भव कोशिश की की हरक सिंह रावत को पार्टी से जोड़ा रखा जाए लेकिन अब पानी सर से ऊपर होने और उनके कांग्रेस में शामिल होने के निर्णय के बाद पार्टी को उनके खिलाफ कदम उठाना पड़ा।
कैबिनेट छोड़ इस्तीफा देकर निकल गए थे
डॉ हरक सिंह रावत कुछ दिन पूर्व ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आयोजित हो रही कैबिनेट की बैठक छोड़ निकल गए थे। उनकी नाराजगी का कारण उस समय कोटद्वार मेडिकल कॉलेज का प्रस्ताव न आना था लेकिन जानकारों का कहना है कि हरक उस वक्त भी लैंसडाउन सीट से अपनी बहू के लिए टिकट की मांग कर रहे थे। हरक की नाराजगी की वजह से भाजपा में हडकंप मच गया था और 24 घंटे तक हरक को मानाने के प्रयास किए जाते रहे। मुख्यमंत्री और हरक के बीच वार्ता के बाद उस मामले का अंत हो पाया था।
बहू के लिए टिकट मांग दिखा रहे थे बागी तेवर
अपने साथ लैंसडोन से बहू अनुकृति गुसाईं के लिए टिकट की मांग को लेकर कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत लगातार बागी तेवर अपनाए हुए थे। भाजपा कोर कमेटी की बैठक में पहुंचने की बजाय दिल्ली के चक्कर काट रहे थे। पार्टी पर लगातार दबाव बनाए हुए थे। हरक सिंह रावत हमेशा दबाव की राजनीति के लिए जाने जाते रहे हैं।वह भाजपा पर लगातार हर बार किसी न किसी चीज के लिए दबाव बनाए हुए थे। पहले उन्होंने कोटद्वार मेडिकल कालेज के नाम पर कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा देने की धमकी देकी र भाजपा को असहज किया। हालांकि उस दौरान हरक को मना लिया गया। मेडिकल कालेज को मंजूरी देने के साथ 25 करोड़ की स्वीकृति भी दी गई। इसके बाद भी हरक पार्टी पर दबाव बनाए हुए थे। इस बार दबाव अपने लिए केदारनाथ सीट और बहू अनुकृति गुसाईं के लिए लैंसडोन सीट का बनाया जा रहा था। भाजपा में बात न बनती देख, वो कांग्रेस में बहू के लिए विकल्प तलाशने लगे। उनकी यही तलाश उन पर भारी पड़ी।
भाजपा का कड़ा संदेश
भाजपा के इस फैसले के अनुशासन के लिहाज से कड़ा संदेश माना जा रहा है। पिछले काफी समय से हरक बगावती तेवर अपनाए हुए थे। पिछले दिनों कैबिनेट बैठक में इस्तीफे की धमकी दे चुके रावत लगातार कांग्रेस नेताओं के संपर्क में भी थे। हरक के आगे हर बार घुटने टेकने से खुद भाजपा के भीतर पसंद नहीं किया जा रहा था। हरक को बर्खास्त कर भाजपा ने साफ कर दिया है कि अब वो किसी दबाव में आने वाली नहीं है।