नई दिल्ली
पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा है। गुरु हर सहाय से विधायक और राज्य के पूर्व मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी ने भारतीय जनाता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया है। गुरमीत सिंह सोढ़ी केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और भूपेंद्र यादव की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुए। बीजेपी का हाथ थामने के बाद गुरमीत सिंह सोढ़ी ने कहा, 'मैंने पंजाब की भलाई के लिए यह फैसला लिया है। पीएम मोदी और बीजेपी पंजाब को बचा सकते हैं।' गुरमीत सिंह सोढ़ी ने कहा, 'कांग्रेस ने राज्य की सुरक्षा और सांप्रदायिक शांति व्यवस्था को दाव पर लगा दिया है। कांग्रेस की धर्मनिरपेक्ष छवि अब पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। कांग्रेस में यह आपसी लड़ाई पंजाब के लिए खतरनाक हालात पैदा कर रही है।'
कौन हैं गुमरीत सिंह सोढ़ी
राणा गुरमीत सिंह को पंजाब के दिग्गज नेताओं में शुमार किया जाता है। गुरमीत सिंह लगातार चार बार विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर चुके हैं। साल 2002 में गुरमीत सिंह विधायक चुने गए थे। इसके बाद गुरमीत सिंह सोढी 2007, 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में भी जीत दर्ज करने में कामयाब रहे। 2018 में कांग्रेस पार्टी की ओर से गुरमीत सिंह को चीफ व्हिप भी बनाया गया था। 67 साल के गुरमीत सिंह 1973 से राजनीति में सक्रिय हैं। राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी भारतीय यूथ कांग्रेस का हिस्सा भी रह चुके हैं। इंडियन यूथ कांग्रेस का मेंबर रहते हुए राणा गुरमीत सिंह ने स्पोर्ट्स और एजुकेशन के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया था।
कैबिनेट से हटाए जाने पर नाराज थे?
गुरमीत सिंह सोढ़ी के कांग्रेस छोड़ने को लेकर यह भी कहा जाता है कि पंजाब कैबिनेट से हटाए जाने के बाद से सोढ़ी नाराज चल रहे थे। दरअसल जब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सीएम पद से इस्तीफा दिया था तब उसके बाद राज्य में चरणजीत सिंह चन्नी की सरकार बनी थी। चन्नी ने अपनी नई कैबिनेट भी बनाई थी। सोढ़ी कैप्टन सरकार में खेल मंत्री थे लेकिन चन्नी ने अपनी नई कैबिनेट में उन्हें जगह नहीं दी थी।