नई दिल्ली । चुनाव आयोग की ओर से हिमाचल प्रदेश में चुनावों की घोषणा हो चुकी है। 12 नवंबर को राज्य में मतदान होना है, जबकि गुजरात विधानसभा चुनाव का शेड्यूल अभी जारी नहीं हुआ है। हालांकि आम आदमी पार्टी का सारा फोकस हिमाचल से ज्यादा गुजरात पर ही है। इस साल मार्च में पंजाब में जीत हासिल करने के बाद लगातार कई बार भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल ने हिमाचल के मंडी, शिमला और कांगड़ा जैसे जिलों में दौरे किए थे। तब लगा था कि आप इस बार के विधानसभा चुनाव में एक बड़ी प्लेयर होगी। लेकिन चुनाव नजदीक आ गया है और आम आदमी पार्टी का फोकस अब पहाड़ी राज्य पर कम ही दिख रहा है।
इसका कारण हैं कि पहाड़ी राज्य में कांग्रेस की स्थिति अपेक्षाकृत मजबूत है। राज्य में वीरभद्र सिंह के जाने के बाद भी प्रतिभा सिंह, सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुकेश अग्निहोत्री और सुधीर शर्मा जैसे नेता मौजूद हैं। इन नेताओं की राज्य में अच्छी साख रही है और जमीन पर कार्यकर्ता भी गुजरात के मुकाबले मजबूत है। इसके बाद कांग्रेस की मजबूती के बीच केजरीवाल को शायद अपने लिए बहुत उर्वर जमीन नहीं दिखी। इसके अलावा 68 सीटों वाले हिमाचल प्रदेश में अच्छा प्रदर्शन के बाद भी देश भर में उसका लाभ मिलने की उम्मीद भी कम दिख रही थी।
इसकारण आप ने गुजरात के मैदान में ज्यादा मेहनत करने का फैसला शायद इसलिए लिया क्योंकि यहीं से पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आते हैं। इसके बाद पीएम मोदी के गृह राज्य में यदि आप अच्छा प्रदर्शन करती है, तब फिर केजरीवाल उस देश भर में भुना सकते हैं। दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस की जमीन हथियाने वाली आम आदमी पार्टी अब देश भर में भाजपा के मुकाबले खुद को पेश करना चाहती है। इसलिए गुजरात के चुनाव में अच्छा प्रदर्शन उसके लिए नैरेटिव तैयार कर सकता है।
भाजपा ने जिस गुजरात मॉडल के दम पर केंद्र की सत्ता और कई राज्यों में वर्चस्व स्थापित किया है, उस चुनौती देकर 'आप' अपनी एक छवि पेश करना चाहती है। गुजरात मॉडल के बरक्स दिल्ली मॉडल को खड़ा करने की वह कोशिश कर रही है और उसे लगता है कि यह नैरेटिव आने वाले वक्त में वह देश भर में चल सकती है।