मुंबई । मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को निवार्चन आयोग से शिवसेना का सिंबल मिलते ही उद्धव गुट के सांसद व एमएलए पर कार्रवाई की तैयारी में जुट गए हैं। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने दो टूक शब्दों में कहा है कि उद्धव ठाकरे के प्रति निष्ठा रखने वाले सभी विधायकों को पार्टी द्वारा जारी व्हिप का पालन करना होगा अन्यथा उन्हें अयोग्यता का सामना करना पड़ेगा। इसमें शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे के पोते आदित्य ठाकरे भी शामिल हैं। शिंदे गुट 27 फरवरी को राज्य विधानमंडल के बजट सत्र से पहले पार्टी का एक व्हिप जारी करने वाला है। शिवसेना के मुख्य सचेतक भरत गोगावले का कहना है कि कुछ समय पहले वे हमारे पीछे थे, अब हम उनके पीछे जाएंगे। बता दें कि चुनाव आयोग ने बीते शुक्रवार को शिवसेना का नाम और सिंबल एकनाथ शिंदे गुट को सौंप दिया है।
शिवसेना के मुख्य सचेतक भरत गोगावले ने कहा है कि उद्धव ठाकरे को समर्थन देने वाले विधायकों को नियमानुसार हमारे व्हिप का पालन करना होगा। उन्होंने सिंबल और पार्टी का नाम खो दिया है। हम 27 फरवरी से शुरू होने वाले राज्य विधानमंडल के बजट सत्र से पहले एक व्हिप जारी करेंगे। यदि वे नहीं मानते हैं, तो वे विधायक के रूप में अयोग्यता के लिए उत्तरदायी होंगे। कुछ समय पहले वे हमारे पीछे थे, अब हम उनके पीछे जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि अविभाजित शिवसेना के 56 विधायक थे, जिनमें से 40 अब शिंदे खेमे के पास हैं। 19 सांसदों में से 13 ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का पक्ष लिया है। भारत के चुनाव आयोग के फैसले से शिंदे के नेतृत्व वाला गुट ही असली शिवसेना है। अब शिंदे गुट एक्शन मोड में आ गया है।
उद्धव ठाकरे गुट ले रहा कानूनी राय
वहीं उद्धव ठाकरे गुट कानूनी राय मांग रहा है कि क्या उन्हें शिंदे गुट के व्हिप का पालन करना है या यह तब तक लागू नहीं होगा, जब तक कि शिंदे और 15 अन्य विधायकों की अयोग्यता पर लंबित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला नहीं सुना देता। शिवसेना प्रवक्ता नरेश म्हस्के ने कहा कि अगर उद्धव गुट के विधायक पार्टी के आदेशों का पालन नहीं करते हैं तो हम उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे। आदित्य सहित उद्धव खेमे के 16 विधायकों को विधानसभा के पटल पर असहज की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। तकनीकी तौर पर ये शिवसेना के विधायक हैं। उन्हें शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के आदेशों का पालन करना होगा। यदि वे विपरीत रुख अपनाते हैं, तो उन्हें अयोग्यता का सामना करना पड़ सकता है। अगर ठाकरे गुट द्वारा दायर की जा रही याचिका के जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई के आदेश पर रोक लगा दी तो उन्हें राहत मिल सकती है।