पटना। बोचहां विधानसभा उपचुनाव के परिणाम के बाद से बीजेपी में खलबली है। खासतौर पर बिहार बीजेपी के नेताओं पर वोटबैंक को संभाल न पाने के लिए उंगलियां उठ रही हैं। बड़ी बात तो ये कि इस तोहमत को इशारों में खुद सुशील मोदी जड़ रहे हैं। उनके मुताबिक भूमिहार और अतिपिछड़े बीजेपी के कोर वोट बैंक हैं, वो नाराज हैं और इसीलिए बोचहां में बीजेपी का ये हाल हो गया। इतना ही नहीं सुशील कुमार मोदी तो खुलकर जेडीयू के सुर में सुर मिला रहे हैं। वो खुद कह रहे हैं कि बोचहां चुनाव में NDA के दलों में तालमेल नहीं था, इसीलिए मजबूत कैंडिडेट भी हांफ-हाफ कर दूसरे नंबर पर बने रह पाए। अब सवाल ये कि बिहार बीजेपी में आखिर चल क्या रहा है?
अभी कुछ दिन पहले ही JDU के विधानपार्षद खालिद अनवर ने बोचहां चुनाव परिणाम पर खुलकर कहा था कि बिहार में नीतीश पर उंगली उठाना बीजेपी के स्थानीय नेतृत्व को भारी पड़ गया। खालिद अनवर ने कहा कि 'बिहार में NDA के नेता नीतीश कुमार हैं और फिर भी बिहार बीजेपी के कुछ नेता उन पर उंगली उठाकर वाहवाही बटोरना चाह रहे थे। इसी का खामियाजा बोचहां में NDA को भुगतना पड़ा।' जाहिर है कि इशारा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल की तरफ था। अब देखिए सुशील मोदी का वो ट्वीट जिसमें वो खालिद अनवर यानि JDU के सुर में सुर मिलाते नजर आ रहे हैं। छोटे मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा कि 'बिहार विधान परिषद की 24 सीटों पर चुनाव और विधानसभा की बोचहा सीट पर उपचुनाव में एनडीए के घटक दलों के बीच 2019 जैसा तालमेल क्यों नहीं रहा, इसकी भी समीक्षा होगी।' यानि सुशील मोदी भी कह रहे हैं कि जेडीयू और बीजेपी के बीच बिगड़े तालमेल ने ही बोचहां में डबल इंजन को पटरी से उतार दिया।
इस सवाल का जवाब तो उसके अंदर ही छिपा है। दरअसल सुशील मोदी को राज्यसभा का सांसद बनाए जाने के बाद बिहार में उनकी भूमिका लगभग खत्म हो गई थी। कमान भूपेंद्र यादव के होते हुए वाया नित्यानंद राय के रास्ते संजय जायसवाल के हाथ में थी। इस तिकड़ी के बीच सुशील मोदी कहीं भी नहीं थे। दूसरी बात ये कि सुशील मोदी के उपमुख्यमंत्री रहते बिहार बीजेपी में किसी की मजाल नहीं थी कि वो नीतीश पर उंगली उठाए क्योंकि तब उस नेता को सुशील मोदी नाम की बाधा पार करनी पड़ती थी। तीसरी और अहम बात ये कि बोचहां चुनाव के नतीजों के बाद बिहार बीजेपी में खेमेबंदी खुलकर सामने आती दिख रही है। यहां समझिए कैसे…
बिहार के मशहूर पॉलिटिकल एक्सपर्ट डॉक्टर संजय कुमार के मुताबिक 'बिहार बीजेपी के वर्तमान नेतृत्व पर सुशील मोदी ने सवाल खड़े किए हैं, कि जो इनके परंपरागत वोटर थे वो विरोध में खड़े हो गए हैं। आप गौर कीजिए कि बिहार बीजेपी के दो और प्रमुख नेता नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार बिल्कुल चुप हैं, वो एक तरह से हाशिए पर हैं। इधर सुशील मोदी भी उनके साथी ही हैं। सुशील मोदी यही बताना चाह रहे हैं कि बिहार बीजेपी का वर्तमान नेतृत्व अपने कोर वोट बैंक को संभाल कर रखने में फेल हो चुका है। ऐसे में पार्टी के उन नेताओं (सुशील मोदी, नंदकिशोर यादव, प्रेम कुमार) को आगे लाना होगा जो इस वोट बैंक की अहमियत समझते हैं।'
बिहार बीजेपी में गुटबाजी फिर शुरू
सुशील मोदी के ट्वीट्स को देखें तो साफ लग रहा है कि वो सारा दोष बिहार बीजेपी को चला रहे नेताओं पर ठेल (डाल) रहे हैं। इशारों-इशारों में उन्होंने साफ कह दिया कि बिहार बीजेपी नया वोटबैंक बनाना तो दूर की बात, अपने कोर वोट बैंक से भी हाथ धो बैठी है। बिहार बीजेपी के नेता पार्टी की विरासत (भूमिहार-अतिपिछड़ा) वोट बैंक को दरकिनार कर और नाराज कर चुके हैं। सुशील मोदी के इशारों को समझें तो ये सबकुछ बिहार बीजेपी को संभाल रहे नेताओं की वजह से हुआ है। ऐसे में बिहार बीजेपी में गुटबाजी के अलावा और क्या चल रहा है, इसके बारे में अब ज्यादा बताने की जरूरत नहीं है।