जयपुर
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट के बीच आए दिन बयानबाजी होती रहती है। पायलट समर्थक उन्हें अगले सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट करने में जुटे हैं। वहीं गहलोत समर्थक अपने नेता के समर्थन में राग आलापते हैं। इस बीच अशोक गहलोत का एक बयान खासा चर्चा में है। इस बयान में एक तरफ अशोक गहलोत ने पूर्व में पायलट कैंप के साथ टकराव की बात स्वीकार की है। वहीं दूसरी तरफ उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए देते हुए कहा है कि तीन का आंकड़ा हमेशा उनके साथ रहा है। आइए जानते हैं गहलोत के इस तीन के आंकड़ों वाले बयान से कौन से तीन सियासी संकेत मिल रहे हैं…
क्या अगली बार सीएम फेस नहीं?
अशोक गहलोत के इस बयान से सबसे बड़ी कयासबाजी तो यही शुरू हो गई है। बतौर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का यह तीसरा टर्म है। वह पहली बार 1998 में मुख्यमंत्री बने थे। दूसरी बार 2008 में उन्होंने मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण किया था। फिर 2018 में जीत के बाद बतौर मुख्यमंत्री गहलोत का यह तीसरा मुख्यमंत्री कार्यकाल है। गहलोत ने अपने बयान में कहा है कि उन्हें तीन बार केंद्रीय मंत्री, तीन बार पीसीसी अध्यक्ष और तीन बार मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला है। अगर यहां के गहलोत के तीन के आंकड़ों वाली बात लागू करें तो वह खुद मानते हैं कि चौथी बार वह मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदार नहीं होंगे।
सचिन पायलट का रास्ता साफ?
दूसरी तरफ बगावत का झंडा बुलंद करने वाले सचिन पायलट पूरी तरह से शांत नहीं बैठे हैं। हाल ही में मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान उन्होंने अपने गुट के लोगों को मंत्रीपद दिलाया। वहीं सचिन पायलट खुद लगातार क्षेत्र में जनसंपर्क की मुहिम में लगे हुए हैं। अपने क्षेत्र के साथ-साथ वह विभिन्न आयोजनों और कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे हैं। पिछले दिनों उन्हें संगठन की जिम्मेदारी देकर उन्हें राजस्थान से हटाने की चर्चा भी थी। लेकिन बाद में पायलट ने खुद बयान जारी कर कहा था कि अगले 50 साल तक वह कहीं नहीं जाने वाले। बाद में एक चैरिटी कार्यक्रम में उन्होंने ‘जीना यहां, मरना यहां’ गीत गाया था, जिससे संकेत मिले थे कि वह राजस्थान की राजनीति से दूर नहीं होने वाले।
तो रिपीट नहीं करेगी कांग्रेस?
अभी तक राजस्थान में एक सरकार ने अगली बार रिपीट नहीं किया। गहलोत के बयान से यह भी मायने निकाले जा रहे हैं कि वह मानकर चल रहे हैं कि अगली बार कांग्रेस को जीत मिलनी मुश्किल है। हालांकि हालिया उपचुनाव में कांग्रेस ने दोनों सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं सचिन पायलट ने मंत्रिमंडल विस्तार से पहले कहा था कि वह राजस्थान में एक बार भाजपा, एक बार की परंपरा को तोड़ना चाहते हैं। ऐसे में सचिन पायलट के लिए यह चुनौती और ज्यादा बड़ी होनी वाली है। अभी राजस्थान में विधानसभा चुनाव में करीब दो साल का समय है और तब क्या होगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा।