जयपुर
संसद में असंसदीय शब्दों की सूची पर हंगामा होने के बीच राजस्थान के मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय ने मोदी सरकार के फैसले का समर्थन किया है। जल संसाधन मंत्री ने पार्टी के स्टैंड से अलग हटकर बयान दिया है। मालवीय ने कहा कि संसद के अंदर गरिमापूर्ण तरीके ही अभिव्यक्ति रखनी चाहिए। सदन के अंदर अशोभनीय शब्दों का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकसभा हमारा सर्वोच्च सदन है। उन्होंने जो अनुभव किया होगा उसके आधार पर शब्दों का चयन किया होगा। उल्लेखनीय है कि असंसदीय शब्दों के मामले पूरी कांग्रेस मोदी सरकार के खिलाफ हमलावर है और अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बता रही है।
बीटीपी विपक्ष के उम्मीदवार का करेगी समर्थन
आदिवासी नेता मालवीय ने शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित जनसुनवाई के बाद मीडिया कर्मियों से बात करते हुए उम्मीद जताई कि राष्ट्रपति चुनाव में बीटीपी विपक्ष के उम्मीदवार का ही समर्थन करेगी। मालवीय ने कहा कि अब तक देखा गया है कि मौका भले ही कोई भी रहा हो, लेकिन बीटीपी ने कांग्रेस पार्टी को ही वोट दिया है। लेकिन राष्ट्रपति चुनाव को लेकर भारतीय ट्राइबल पार्टी के वोट पर इस बार संशय के बादल बने हुए हैं। बीजेपी के वोट को लेकर मालवीय ने कहा कि भारतीय ट्राइबल पार्टी के विधायको को ही निर्णय लेना है। एक सवाल के जवाब में जल संसाधन मंत्री ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया को उनके पास कभी जीवन में फोन नहीं आया है।
असंसदीय शब्दों को लेकर विवाद
खबरों के अनुसार जिन शब्दों को असंसदीय भाषा की श्रेणी में रखा गया है उनमें शकुनि, तानाशाह, तानाशाही, जयचंद, विनाश पुरुष, ख़ालिस्तानी और ख़ून से खेती शामिल हैं। विवाद बढ़ने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सफाई दी है और कहा कि कोई शब्द बैन नहीं किया गया है। असंसदीय शब्दों पर फैसला लेने की परंपरा आज की नहीं है। लंबे समय से चल रही है। उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि सरकार की ओर से शब्दों पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। हमने किसी भी शब्द पर कोई बैन नहीं किया है।