धन्वंतरि जयंती जिसे धन्वंतरि त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है, दिवाली से दो दिन पहले मनाई जाती है.
ये दिन आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की जयंती के रूप में मनाया जाता है.
धन्वन्तरि जयंती पूजा मुहूर्त समय
इस वर्ष धन्वन्तरि जयंती 22/23 अक्टूबर 2022 को शनिवार/रविवार के दिन मनाई जाएगी. धन्वन्तरि जयंती का पूजा समय इस प्रकार रहेगा-
धन्वन्तरि पूजा प्रातःकाल मुहूर्त – 06:26 प्रात:काल से 08:42 प्रात:काल
धनवन्तरि जयंती के दिन भगवान धन्वंतरि जी का पूजन किया जाता है. इस दिन आयुर्वेद से संबंधित वैध शालाओं में भी पूजन होता है. इस दिन औषधियों का दान करना अत्यंत ही शुभदायक माना गया है. मान्यता है कि इस दिन यदि कोई दवा इत्यादि दान किया जाए तो व्यक्ति को रोग से मुक्ति प्राप्त होती है.
धनवन्तरि का स्वरुप
धनवन्तरि को भगवान विष्णु का ही एक अंश रुप माना जाता रहा है. इनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें से ऊपर के दोनों हाथों में चक्र और शंख धारण किए होते हैं. अन्य दो हाथों में से औषधि और अमृत कलश स्थित है.
धन्वंतरि पूजा विधि
धन्वंतरि जयंती के दिन प्रात:काल उठ कर स्नान इत्यादि कार्यों से निवृत्त होकर पूजा का संकल्प लेना चाहिए.
पूजा स्थान को गंगा जल का छिड़काव करके पवित्र करना चाहिए.
इसके बाद एक थाली पर रोली के माध्यम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए.
थाली पर ही मिट्टी के दीए को जलाना चाहिए. दीपक पर रोली का तिलक लगाना चाहिए.
भगवान धनवंतरी की पूजा घर में करें तथा आसन पर बैठकर धनवंतरी मंत्र "ऊँ धन धनवंतरी नमः" मंत्र का जप करना चाहिए.
धनवंतरी पूजा में पंचोपचार पूजा करनी चाहिए. धन्वंतरि देव के समक्ष दीपक जलाना चाहिए.
धन्वंतरि जी को फूल चढ़ाएं तथा मिठाईयों का भोग लगाना चाहिए.
देवता धनवंतरी की पूजा करें आरती करनी चाहिए. पूजा पश्चात परिवार के उत्तम स्वास्थ्य की कामना करनी चाहिए.
मंत्र
ऊं नमो भगवते वासुदेवय धन्वंतरे अमृत कलश हस्तय सर्वमाया विनाश्य त्रैलोक्य नाथय
श्री महाविष्णवे नमः
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