जीवन का सबसे बड़ा धन उत्तम स्वास्थ है, इसलिए आयुर्वेद के देव धन्वंतरि के अवतरण दिवस यानि धनतेरस पर स्वास्थ्य रूपी धन की प्राप्ति के लिए यह त्योहार मनाया जाता है।
23 अक्टूबर को धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा। आओ जानते हैं कि धनतेरस की क्या है सरल तरीके की पूजा विधि।
धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त : शाम 5 बजकर 44 मिनट से से 6 बजकर 5 मिनट तक रहेगा।
धनतेरस की पूजा विधि | Dhanteras puja vidhi
– इस दिन प्रात: उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर पूजा की तैयारी करें। घर के ईशान कोण में ही पूजा करें। पूजा के समय हमारा मुंह ईशान, पूर्व या उत्तर में होना चाहिए।
– पूजन के समय पंचदेव की स्थापना जरूर करें। सूर्यदेव, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु को पंचदेव कहा गया है। पूजा के समय सभी एकत्रित होकर पूजा करें। पूजा के दौरान किसी भी प्रकार शोर न करें।
– इस दिन धन्वंतरि देव की षोडशोपचार पूजा करना चाहिए। अर्थात 16 क्रियाओं से पूजा करें। पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बुल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार। पूजन के अंत में सांगता सिद्धि के लिए दक्षिणा भी चढ़ाना चाहिए।
– इसके बाद धन्वंतरि देव के सामने धूप, दीप जलाएं। फिर उनके के मस्तक पर हलदी कुंकू, चंदन और चावल लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं।
– पूजन में अनामिका अंगुली गंध अर्थात चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी आदिलगाना चाहिए। इसी तरह उपरोक्त षोडशोपचार की सभी सामग्री से पूजा करें। पूजा करते वक्त उनके मंत्र का जाप करें।
– पूजा करने के बाद प्रसाद चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है।
– अंत में उनकी आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है।
– मुख्य पूजा के बाद अब मुख्य द्वार या आंगन में प्रदोष काल में दीये जलाएं। एक दीया यम के नाम का भी जलाएं। रात्रि में घर के सभी कोने में भी दीए जलाएं।