फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। श्रावण मास में शिवरात्रि और फाल्गुन माह में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। बालाजी ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ गणेश शर्मा ने बताया कि इस दिन शिवजी की विशेष पूजा और आराधना होती है और विशेष अभिषेक किया जाता है। अधिकतर मत के अनुसार शिवजी की पूजा निशीथ काल में की जाती है। इसलिए 8 मार्च 2024 को यह पर्व मनाया जाएगा। चतुर्दशी पहले ही दिन निशीथव्यापिनी हो, तो उसी दिन महाशिवरात्रि मनाते हैं। रात्रि का आठवां मुहूर्त निशीथ काल कहलाता है।
पूजा के शुभ मुहूर्त –
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:08 से 12:56 तक।
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:30 से 03:17 तक।
गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:23 से 06:48 तक।
सायाह्न सन्ध्या: शाम 06:25 से 07:39 तक।
अमृत काल: रात्रि 10:43 से 12:08 तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 06:38 से 10:41 तक।
निशिता मुहूर्त: रात्रि 12:07 से 12:56 तक।
इसलिए मनाते हैं महाशिवरात्रि का पर्व –
पंडित सौरभ गणेश शर्मा के अनुसार ईशान संहिता में बताया गया है कि फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि में आदिदेव भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले शिवलिंग रूप में प्रकट हुए थे। माना जाता है कि सृष्टि की शुरुआत में इसी दिन आधी रात में भगवान शिव का निराकार से साकार रूप में ब्रह्म से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था। प्रलय की बेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से भस्म कर देते हैं। इसलिए इसे महाशिवरात्रि या जलरात्रि भी कहा गया है। इस दिन भगवान शंकर की शादी भी हुई थी, इसलिए रात में शंकर की बारात निकाली जाती है। रात में पूजा कर फलाहार किया जाता है। अगले दिन सवेरे जौ, तिल, खीर और बेल पत्र का हवन करके व्रत समाप्त किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि में चंदमा सूर्य के नजदीक होता है। उसी समय जीवनरूपी चंद्रमा का शिवरूपी सूर्य के साथ योग-मिलन होता है। सूर्यदेव इस समय पूर्णत: उत्तरायण में आ चुके होते हैं तथा ऋतु परिवर्तन का यह समय अत्यन्त शुभ कहा गया है। 8 मार्च 2024 शुक्रवार के दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन व्रत रखकर शिवजी की पूजा करने से वे बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। महाशिवरात्रि व्रत के नियम और व्रत में क्या खा सकते हैं।
महाशिवरात्रि व्रत के नियम –
पंडित शर्मा ने बताया कि महाशिवरात्रि चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। चतुर्दशी तिथि के प्रारंभ होने से पहले ही व्रत का संकल्प लें या उदयातिथि है तो प्रात: काल ही व्रत का संकल्प लें। यदि निर्जल व्रत रख रहे हैं तो फिर पूरे दिन पानी भी नहीं पीते हैं। यदि एक समय का व्रत रख रहे हैं तो फिर दूसरे समय फलाहार नहीं करते हैं। यानि एक समय भोजन कर सकते हैं। यदि आप पूर्ण उपवास रख रहे हैं तो न तो फलाहार लेते हैं और न भोजन। तब मात्र जल ही लेते हैं। फलाहार उपवास करने वाले भक्त दिनभर किसी भी फल का सेवन कर सकते हैं। व्रत के दौरान पूजा के बाद कथा अवश्य सुनें। दूसरे दिन प्रातः जौ, तिल-खीर तथा बेलपत्रों का हवन करके ब्राह्मणों को भोजन कराकर व्रत का पारण करना चाहिए।
शिवरात्रि व्रत में क्या खाना चाहिए क्या नहीं –
साबूदाना खिचड़ी, सिंघाड़े का हलवा, कुट्टू के आटे की पूड़ी, सामा के चावल, आलू का हलवा खा सकते हैं। दाल, चावल, गेहूं या कोई भी साबुत अनाज और सादे नमक का उपयोग नहीं कर सकते। सेंधा नमक खा सकते हैं। भगवान शंकर पर चढ़ाया गया नैवेद्य खाना निषिद्ध है। यदि शिव की मूर्ति के पास शालिग्राम हों तो नैवेद्य खाने का कोई दोष नहीं होता।
पंडित सौरभ गणेश शर्मा, ज्योतिषाचार्य बाला जी ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र शास्त्री कॉलोनी स्टेशन रोड सीहोर 9229112381