सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को समर्पित होता है। वही रविवार का दिन भगवान श्री सूर्यदेव की आराधना के लिए उत्तम माना जाता है।
भक्त इस दिन भगवान की विधिवत पूजा करते है और व्रत आदि भी रखते है।
मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ और व्रत के अलावा अगर भगवान की पूर्ण आरती का पाठ किया जाए तो वे जल्दी प्रसन्न होते है और अपने भक्तों पर कृपा बरसाते है जिससे साधक के जीवन के सभी दुख दर्द समाप्त हो जाते है। मान्यता है कि पूजा पाठ और व्रत में अगर देवी देवताओं की आरती न पढ़ी जाए तो व्रत पूजन का पूर्ण फल भी प्राप्त नहीं होता है। ऐसे में अगर आप आज सूर्यदेव की कृपा पाना चाहते है। तो उनकी आरती का पाठ जरूर करें।
भगवान सूर्यदेव की आरती-
ऊँ जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।
त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥
॥ ऊँ जय कश्यप…॥
सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥
॥ ऊँ जय कश्यप…॥
सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥
॥ ऊँ जय कश्यप…॥
सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥
॥ ऊँ जय कश्यप…॥
कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥
॥ ऊँ जय कश्यप…॥
नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥
॥ ऊँ जय कश्यप…॥
सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान मोह सब, तत्वज्ञान दीजै॥