गणेश उत्सव पर इस मूहर्त में करें गणपति स्थापना

इस बार गणेश चतुर्थी विशेष शुभ मूहर्त में आ रही है और यह योग गणेश आराधना का विशेष दिन बुधवार को पड़ रहा है। बालाजी ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ गणेश शर्मा के अनुसार मान्यता है कि गणेशजी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मध्याह्न काल में सोमवार स्वाति नक्षत्र एवं सिंह लग्न में हुआ था, इसीलिए गणेश चतुर्थी यानी गणेश उत्सव का त्योहार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है। यह त्योहार 27 अगस्त 2025 बुधवार के दिन रहेगा। 27 अगस्त को गणेश स्थापना और गणेश विसर्जन 6 सितम्बर 2025 शनिवार को होगा।
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ : 26 अगस्त 2025 को दोपहर 01:54 से।
चतुर्थी तिथि समाप्त : 27 अगस्त 2025 को दोपहर 03:44 तक।
गणेश स्थापना और पूजा का शुभ मुहूर्त चौघड़िया अनुसार अमृत सुबह 7:33 से 9:09 के बीच।
शुभ सुबह 10:46 से दोपहर 12:22 के बीच।
शाम की पूजा का शुभ मुहूर्त 06:48 से 7:55 के बीच।
स्थापना से पहले गणपति जी का घर में मंगल प्रवेश –
पंडित शर्मा ने बताया कि यदि गणेश जी को प्रसन्न करना है तो प्रसन्नतापूर्वक और विधिपूर्वक श्रीगणेश जी का घर में मंगल प्रवेश होना चाहिए। सबसे पहले श्रीगणेश जी के आगमन के पूर्व घर-द्वार, घर के मंदिर को सजाया जाता है और जहां गणेश जी को स्थापित किया जाएगा उस जगह की साफ-सफाई करके कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और हल्दी से 4 बिंदी बनाएं। फिर एक मुट्ठी अक्षत रखें और इस पर छोटा बाजोट, चौकी या लकड़ी का एक पाट रखकर उस पर पीला, लाल या केसरिया वस्त्र बिछाएं। मतलब यह कि स्थापित करने वाली जगह को पहले से ही सजाकर रखें, साथ ही पूजा और आरती का सामान भी पहले से ही खरीदकर रख लें। बाजार जाने से पहले नवीन वस्त्र धारण करें, सिर पर टोपी या साफा बांधें, रुमाल भी रखें। पीतल या तांबे की थाली साथ में ले जाएं, नहीं तो लकड़ी का पाट ले जाएं, जिस पर गणेशजी विराजमान होकर हमारे घर में पधारेंगे। इसके साथ ही घंटी और मंजीरा भी ले जाएं। गणेश जी की मूर्ति खरीदते समय यह ध्यान रखें कि गणेश जी की प्रतिमा बैठी हुई हो, उनके साथ वाहन चूहा तथा रिद्धि-सिद्धि हो और सफेद या सिंदूरी रंग की प्रतिमा हो, सूंड बाएं तरफ हो, पितांबर या लाल परिधान पहने हुए हो और लड्डू का थाल हो। इन बातों का ध्यान रखते हुए ही मूर्ति खरीदना उचित रहता है। बाजार जाकर जो भी गणेश जी पसंद आए उसका मोलभाव न करें, उन्हें आगमन के लिए निमंत्रित करके दक्षिणा दे दें। फिर गणेशजी की प्रतिमा को धूमधाम से घर के द्वारा पर लाएं और द्वार पर ही उनकी आरती उतारें। यदि याद है तो मंगल गीत गाएं या शुभ मंत्रों का उच्चारण करें अथवा बोलें। इसके बाद गणपति बप्पा के नारे लगाते हुए उन्हें घर के अंदर ले आएं और प्रसन्नचित्त होकर पहले से तैयार किए गए स्थान पर विराजित कर दें। मंगल प्रवेश के बाद विधिवत पूजा और आरती करें। माना जाता है कि इस तरीके से किए गए श्रीगणेश के मंगल प्रवेश से जीवन के सभी तरह के विघ्न दूर होकर जीवन में भी मंगल ही मंगल होता है, क्योंकि गणेशजी विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता माने गए हैं।
पंडित सौरभ गणेश शर्मा, ज्योतिषाचार्य, बालाजी ज्योतिष अनुसंधान केंद्र शास्त्री कॉलोनी स्टेशन रोड सीहोर 9229112381

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