3 अक्टूबर से शारदीय यानी आश्विन मास की नवरात्रि शुरू हो रही है। इस साल नवरात्रि की तिथियों में घट-बढ़ रहेगी, लेकिन नवरात्रि पूरे नौ दिन की ही रहेगी। 11 अवटूबर को दुर्गा अष्टमी और दुर्गा नवमीं एक ही दिन मनेगी। हालांकि तिथियों की तारीखों को लेकर पंचांग भेद भी हैं। देवी दुर्गा की पूजा के महापर्व में 7 और 8 अक्टूबर को पंचमी तिथि रहेगी। इसके बाद अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन 11 अक्टूबर को मनाई जाएगी। बालाजी ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ गणेश शर्मा ने बताया कि पूजा 3 अक्टूबर को मां शैलपुत्री, 4 को मां ब्रह्मचारिणी, 5 को मां चंद्रघंटा, 6 को मां कृष्मांडा, 7 को मां स्कंदमाता, 8 को मां कात्यायनी, 9 को मां कालरात्रि, 10 को मां सिद्धिदात्री और 11 को मां महागौरी की पूजा करें। इसके बाद 12 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा। देवी दुर्गा की पूजा में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। नवरात्रि के दिनों में घर की रोज साफ-सफाई जरूर करें। घर में गोमूत्र और गंगाजल का छिड़काव करें। घर के बाहर रंगोली बनाएं। मुख्य द्वार पर वंदनवार लगाएं। घर के मंदिर में गणेशजी, शिवजी और देवी दुर्गा का अभिषेक करें। अभिषेक जल और दूध से करें। भगवान को दूर्वा, बिल्व पत्र, फूलों का हार, गुलाब, कमल जरूर चढ़ाएं। देवी दुर्गा के मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें। नवरात्रि के दिनों में देवी के शक्तिपीठों में दर्शन-पूजन करें। अपने शहर में या शहर के आसपास के देवी के पौराणिक महत्व वाले मंदिरों में दर्शन करें। देवी पूजा के साथ ही छोटी कन्याओं की भी पूजा करें। कन्याओं को भोजन कराएं, उन्हें पढ़ाई की चीजें दान करें। रोज सूर्यास्त के बाद घर के बाहर दीपक लगाएं। तुलसी के पास दीपक जलाएं। देवी दुर्गा को सुहाग का सामान जैसे चुड़ियां, लाल चुनरी कुमकुम, सिदूर बिंदिया अर्पित करें। कई लोग नवरात्रि के नौ दिनों में व्रत-उपवास करते हैं। जो लोग भूखे नहीं रह पाते हैं, वे फलाहार कर सकते हैं, दूध और फलों के रस का सेवन कर सकते हैं।
मूर्ति और घट स्थापना मुहूर्त-
प्रतिमा और घट स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रात 6.30 से 7.31 के बीच रहेगा। दोपहर 12.03 से 12.51 के बीच रहेगा।
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04.53 से शाम 05.41 तक।
प्रातः संध्या: सुबह 05.17 से सुबह 06.30 तक।
अमृत काल: सुबह 08.45 से सुबह 10.33 तक।
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12.03 से दोपहर 12.51 तक।
विजय मुहूर्त: अपरान्ह 02.26 से अपरान्ह 03.14 तक।
गोधूलि मुहूर्त: शाम 06.25 से शाम 06.49 तक।
सायाह्न संध्या: शाम 06.25 से 07.37 तक।
डोली पर सवार होकर आएगी मातारानी-
सोमवार या रविवार से नवरात्रि शुरू हो तो मां का आगमन हाथी पर, मंगलवार या शनिवार के दिन मां का आगमन घोड़े पर, बुधवार के दिन मां का आगमन नाव पर और शुक्रवार या गुरुवार के दिन मां दुर्गा का आगमन डोली या पालकी पर होता है। इस साल गुरुवार के दिन घटस्थापना होने वाली है। इस हिसाब से माता दुर्गा का आगमन डोली पर होने वाला है, जिसे शुभ नहीं माना जा रहा है।
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