
हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष प्रारंभ होता है। आम बोलचाल में इसे श्राद्धपक्ष भी कहते हैं। यह लगभग सोलह दिन की अवधि है, जिसमें पूर्वजों की आत्मशांति के लिए पाठ, दान-दक्षिणा, मान-सम्मान, पिंडदान और कृतज्ञता व्यक्त की जाती है। मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितर पृथ्वी पर आते हैं और अपने वंशजों पर कृपा बरसाते हैं। बालाजी ज्योतिष अनुसंधान एवं परामर्श केंद्र के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ गणेश शर्मा ने बताया कि इस बार पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर 2025 को पूर्णिमा तिथि से हो रही है। यह तिथि न केवल धार्मिक बल्कि खगोल विज्ञान की दृष्टि से भी खास है। दरअसल 7 सितंबर 2025 को साल का अंतिम चंद्र ग्रहण भी लगने जा रहा है। खास बात यह है कि यह ग्रहण भारत में नजर आने वाला है। वैज्ञानिकों के मुताबिक जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है, तो सूर्य की रोशनी चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती है। इससे धरती की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इस खगोलीय घटना को चंद्रग्रहण कहा जाता है यह ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा। इसके अलावा इस चंद्र ग्रहण को भारत में देखा जाएगा, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य होगा। वहीं चंद्र ग्रहण का प्रभाव पूजा-पाठ से लेकर अन्य शुभ कार्यों
चंद्र ग्रहण में ये भी करें –
ग्रहण में सात प्रकार का अनाज, लोहा, कपड़े दान करना चाहिए। ग्रहण में राहु ग्रह का दान किया जाता है, तभी उसका फल प्राप्त होता है। गर्भवती स्त्रियों को ग्रहण नहीं देखना चाहिए। ग्रहण के सूतक लगने पर भोजन वगैरह नहीं किया जाना चाहिए। ग्रहण है तब तक पूजा पाठ करते रहना चाहिए। कलिंग देश बंगाल, मगध, सूरत राज्य जहां पर है ऐसे देश पर हानिकारक रहेगा। ग्रहण काल से जिन वस्तुओं में तेजी आएगी वह है काली वस्तु, सफेद वस्तु, लाल वास्तु, फल फूल एवं जल के अंदर पैदा होने वाली वस्तुएं, इलेक्ट्रॉनिक सामान, ज्वार, बाजरा आदि वस्तुओं में धन्य की वस्तुओं में तेजी के रुख रहेंगे।
12 राशि के अनुसार चंद्र ग्रहण में दान करें लाभ मिलेगा –
– वृषभ और तुला राशि वाले सफेद वस्तुएं दान करें
– कर्क राशि दूध, दही, चावल दान करें
– सिंह राशि गेहूं, मूंगफली, शहद दान करें
– कन्या राशि गन्ने का रस दान करें
– वृश्चिक राशि आलू, शकरकंद, गेहूं दान करें
– धनु और मीन राशि पीले फल और वस्त्र दान करें
– मकर और कुंभ राशि काले तिल और वस्त्रों का दान करें।