न केवल हिंदू धर्म में बल्कि वास्तु व ज्योतिष शास्त्र में पीपल के पेड़ का बहुत महत्व बताया गया है।
जिस कारण सनातन व हिंदू धर्म से संबंध रखने वाले लोग इसकी विधि वत पूजा करते हैं। परंतु इसे इतना
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न केवल हिंदू धर्म में बल्कि वास्तु व ज्योतिष शास्त्र में पीपल के पेड़ का बहुत महत्व बताया गया है। जिस कारण सनातन व हिंदू धर्म से संबंध रखने वाले लोग इसकी विधि वत पूजा करते हैं। परंतु इसे इतना पावन क्यों माना जाता है, इस संदर्भ में लगभग लोग अंजान है। तो चलिए आज जानते हैं कि आखिर पीपल के वृक्ष को इतना खास व पावन क्यों माना जाता है।
दरअसल पीपल के वृक्ष में विष्णु भगवान का वास माना गया है। श्रीमद्भागवत गीता के 10वें अध्याय के 26वें श्लोक में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं, ''मैं सब वृक्षों में पीपल का वृक्ष हूं।''
इसलिए हिंदू पीपल की रक्षा के लिए तैयार हो जाते हैं। स्कंध पुराण नागर 247 श्लोक 41-44 के अनुसार- पीपल की जड़ में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में भगवान श्री हरि और फूलों में सब देवता निवास करते हैं।
यह वृक्ष विष्णु स्वरूप है। महात्मा पुरुष इस वृक्ष के पुण्यमय मूल की सेवा करते हैं। इसका गुणों से युक्त और कामनादायक आश्रय मनुष्यों के हजारों पापों का नाश करने वाला है।
वैज्ञानिक अनुसंधानों से पता चलता है कि पीपल ही एक मात्र ऐसा वृक्ष है जो रात-दिन प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन का विसर्जन करता है। इसकी छाया सर्दी में गर्मी प्रदान करती है तथा गर्मी में शीतलता देती है।
पीपल प्राणवायु प्रदाता है। अत: जगत का पालक है। वैज्ञानिक अनुसंधानों द्वारा यह भी सिद्ध हुआ है कि पीपल के पत्तों से संस्पृष्ट वायु के प्रवाह व ध्वनि से रोगों के कीटाणु धीरे-धीरे नष्ट हो जाते हैं। वैदिक ग्रंथों के अनुसार इसके पत्ते, फल, छाल, सभी रोगनाशक हैं।