कोरोना की हो गई विदाई पर रेलवे कर रहा स्पेशल के नाम पर कमाई; तीन गुना तक अधिक किराया

मुरादाबाद
यूपी से फिलहाल कोरोना की विदाई हो चुकी है। प्रदेश सरकार ने भी एक अप्रैल से कोविड से जुड़े सभी प्रतिबंध हटा लिए हैं लेकिन रेलवे अभी अपने यात्रियों से कमाई में लगा है। अलग-अलग रेल मंडलों में अधिकतर पैसेंजर ट्रेनों का जीरो यानी स्पेशल का दर्जा बरकार है। इससे कारण यात्रियों को अकारण तीन गुना तक किराया देना पड़ रहा है। यह हाल मुरादाबाद-मेरठ से लेकर लखनऊ-प्रयागराज तक है।

दो साल पहले मार्च में कोरोना महामारी के संक्रमण से निजात दिलाने के लिए रेल संचालन को रोका गया था। बाद में कोरोना पर नियंत्रण हुआ तो जीरो टैग के साथ कोविड स्पेशल मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन शुरु किया गया। पिछले दिनों इन ट्रेनों का जीरो टैग हटाकर किराया सामान्य कर दिया गया, कोविड काल में चली पैसेंजर ट्रेनें आज भी स्पेशल के रुप में चल रही है। यात्री इसे गरीब-कमजोरों पर ज्यादती बता रहे हैं तो स्थानीय रेल अफसर इसे रेलवे बोर्ड का फैसला बताकर पल्ला झाड़ते नजर आए।
 

●कोरोना की पहली लहर के बाद एक जून से मुरादाबाद रेल मंडल में 12 ट्रेनों का संचालन शुरु हुआ। कोविड स्पेशल तौर पर पहले पैसेंजर ट्रेनें चली मगर दूसरी लहर में इनका संचालन बंद हो गया। संक्रमण पर अंकुश के लिए जुलाई में 2021 में पैसेंजर ट्रेनें आरक्षण के संग चलाई गईं लेकिन फिलहाल कोरोना का प्रकोप लगभग खत्म होने पर भी रेलवे ने अपना फैसला नहीं बदला।

● सहारनपुर से जाने वाली सात पैसेंजर ट्रेनों में अब भी एक्सप्रेस का किराया लग रहा है। बरेली जंक्शन से बरेली- रोजा, बरेली-अलीगढ़, बरेली- मुरादाबाद, बरेली-दिल्ली पैसेंजर आदि को स्पेशल ट्रेन बनाकर चलाया जा रहा है।

● इज़्ज़तनगर मंडल की बरेली-कासगंज, बरेली-पीलीभीत और बरेली- लालकुआं पैसेंजर ट्रेन को भी स्पेशल ट्रेन के तैयार पर चलाकर दुगुना किराया वसूला जा रहा है।

● उत्तर मध्य रेलवे के प्रयागराज मंडल में मौजूदा समय में 72 ट्रेनें चल रही हैं जिसमें स्पेशल के दर्जे से रुपये वसूले जा रहे। पहले यह पैसेंजर होती तो किराया कम होता था। प्रयागराज में करीब 9 पैसेंजर ट्रेनों को स्पेशल का दर्जा मिला हुआ है।

● कानपुर में कानपुर-अनवरगंज से फर्रुखाबाद को चार पैसेंजर ट्रेन दिन में जाती और आती हैं। इन ट्रेनों में न्यूनतम किराया 30 रुपये देना होता है। कानपुर से अहमदाबाद और कानपुर से एलटीटी एक्सप्रेस भी स्पेशल बनकर चल रही हैं।

50 किमी तक न्यूनतम 30 रुपये किराया
रेलवे ने न्यूनतम 50 किमी की दूरी का स्लैब लागू किया गया है। इससे पैसेंजर ट्रेनों का सफर महंगा हो गया। दस रुपये के मुकाबले न्यूनतम किराया 30 रूपये देना पड़ रहा है। स्पेशल ट्रेन में सफर के लिए दो सौ किमी तक दूरी पर रेल यात्रियों को 70 रुपये का टिकट लेना पड़ रहा है।

जनरल कोच बढ़ने पर घटेगा किराया
लखनऊ में भी कोविड के पहले 80 किलोमीटर का किराया जनरल में 30 रुपये तक लगता था, वहीं अब यात्रियों को 45 रुपये देना पड़ रहा है। इससे रेलवे 135 करोड़ से अधिक की अकेले जनरल क्लास से कमाई कर रहा है। अधिकारियों का कहना है कि 140 जनरल कोच की डिमांड बोर्ड को भेजा है। इनके मिलने से किराया कम हो सकता है।

रेलवे बोर्ड तय करता है किराया
सीनियर डीसीएम मुरादाबाद सुधीर सिंह ने कहा कि ट्रेन में किराए का निर्धारण रेलवे बोर्ड करता है। पैसेंजर ट्रेनों में रेलवे बोर्ड ने इस बार स्लैब व्यवस्था लागू की है। वैसे भी मौजूदा दौर में न्यूनतम तीस किराया ज्यादा महंगा नहीं है।

स्पेशल का नाम देकर ज्यादा किराया
दैनिक यात्री संघ मुरादाबाद के सुधीर पाठक कहते हैं कि पैसेंजर ट्रेनों से आम व कमजोर वर्ग के लोग सफर करते है। पर रेलवे पैसेंजर ट्रेन को स्पेशल का नाम देकर चला रहा है। इन ट्रेनों के स्टापेज भी वहीं, वही रफ्तार भी लेकिन किराया तीन से चार गुना तक महंगा कर दिया।

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