पटना
बिहार में मौसम अनुकूल खेती से उत्पादकता दोगुनी हो गई। लिहाजा अब खेती का रकबा बढ़ाये बिना ही अनाज का उत्पादन भी दूना हो सकेगा। लेकिन इसके लिए हर किसान को खेती की इस नई प्रणाली को अपनाना होगा। अभी हर जिले के मात्र 595 हेक्टेयर में ही यह खेती हो रही है। वह भी सरकारी अनुदान के सहारे और वैज्ञानिकों की देखरेख में।
राज्य में मौसम अनुकूल खेती को लेकर गत वर्ष खरीफ और रबी दोनों फसल का आकलन सरकार ने किया तो सालभर की औसत उत्पादकता 113 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो गई। आमतौर पर खेती के परम्परिक तरीके से सालभर में अनाज की उत्पादकता 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। अगर किसी किसान ने बहुत ही वैज्ञानिक तरीके से खेती की तो चुनिंदा इलाके में उत्पादकता 80 से 85 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिलती है। खास बात यह है कि उत्पादकता में यह वृद्धि के लिए न तो बीज बदले गये और न ही रकबा बढ़ाया गया। सिर्फ समय प्रबंधन कर फसल सघनता बढ़ाने से यह परिणाम मिला है। मौसम अनुकूल खेती में राज्य सरकार सालभर में तीन फसल लेने का प्रयास कर रही है। इसके लिए समय प्रबंधन किया जाता है। खेतों की जुताई में समय नष्ट नहीं किया जाता और बिना जुताई के ही फसल की बुआई की जाती है। यहां तक कि धान की खेती में भी बड़े रकबे में सीधी बुआई होती है।