बस्तर में सभी तरह के नशे का कारोबार जमा रहा है अपनी जड़ें

जगदलपुर
बस्तर में सभी तरह के नशे शराब, नशीली दवा, गांजा, भांग या सिगरेट, गुटखा या तंबाकू की गिरफ्त में यहां के युवाओं को अपने आगोश में लेता जा रहा है। नशे के विस्तार से दिन-ब-दिन कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है।

मिली जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में 50 से ज्यादा मुंह के कैंसर के मरीजों का इलाज चल रहा है। स्कूल-कॉलेजों से लेकर ग्रामीण इलाकों तक पान मसाला ने अपनी गहरी जड़ें जमा ली हैं। पुरुषों के साथ ही पान मसाला खाने की आदत अब महिलाओं में भी बहुत आम हो गई है। नशीली दवा (मेडिसिन), गांजा, भांग मुनक्का जैसे नशीले पदार्थों का उपयोग अधिक होने लगा है, इसके उपयोग से कमाल की बात यह है इस नशे की आदत का सालों तक किसी को पता भी नहीं चलता जिसके चलते व्यक्ति इसका आदी हो जाता है।

बस्तर में पड़ोसी राज्य ओडिसा से गांजे की तस्करी का मामला रोजाना देखने को मिलता है, दूसरे नंबर पर ड्रग तस्करों एवं विक्रय करते दुकानदारों को दवा की सैकड़ों शीशियों या प्रतिबंधित गोलियों के साथ गिरफ्तार किये जाने का मामला आम तौर पर देखने को मिलता है। जब इतनी बड़ी मात्रा में गांजा और नशीला पदार्थ और नशीली गोलियां पकड़ी जा रही हैं, तो इस शहर में इसकी खपत की मात्रा का सहज अनुमान लगाया जा सकता है। गांजा की आपूर्ति पड़ोसी राज्य ओडिसा से होती है, वहीं नशीली दवा की आपूर्ति रायपुर से की जाती है। परिवहन के माध्यम से जगदलपुर पहुंचती है और यहां से इसे दंतेवाड़ा, नारायणपुर, बीजापुर और सुकमा जैसे जिलों में भेजा जाता है। मुनक्का नामक भांग को बेचने के लिए बकायदा कंपनियां वजूद में आ चुकी है जो पान मसाला जैसे पाउच में तैयार कर पूरे संभाग में सप्लाई कर रहीं है। यह ईतना सस्ता नशा है कि हर हाथ तक अपनी पहुंच रखता है। शहर के चारों कोनों में बड़ी ही आसानी से गांजा खरीदा जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 और 2016 में लगातार मेडिकल स्टोर्स में बेची जा रही नशीली दवाओं कोडिन युक्त कफ सिरप और इस्प्राक्समो प्राक्सीवन, अलफाजोलम नामक गोली के खिलाफ समाचार प्रकाशित होने पर जिले के संबधित विभाग और पुलिस-प्रशासन शहर के उन मेडिकल स्टोर के खिलाफ कार्रवाई की गई थी, इसके बाद इसमें कुछ अंकुश लगा था। अब पुन: नशा के कारोबार का गोरखधंधा परवान चढ?े लगा है, जिस पर कार्यवाही के साथ अंकुश लगाना आवश्यक है।