बिलासपुर
SECL के कई खदानों में कोयला उत्खनन में कमी की वजह से कई छोटे संयंत्रों को कोयला उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. लेकिन प्रबंधन इस मामले में कोयले की कमी को मानने को तैयार नहीं हैं. प्रबंधन का कहना है कि सभी नॉन पावर सेक्टर और छोटे उद्योगों को कोयला मिल सके इसकी व्यवस्था की जा रही है.
एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर में सोमवार को नए सीएमडी प्रेम सागर मिश्रा ने बताया कि 'लगातार कोयले के उत्पादन को बढ़ाने और पावर और नान पावर सेक्टर को कोयले की कमी ना हो इसके लिए प्रबंधन लगातार कोशिश कर रहा है. साथ ही कोयला खदानों में काम करने वाले कर्मचारी भी भारी मात्रा में कोयले का उत्खनन कर रहे हैं'
नए सीएमडी का पदभार ग्रहण करने के बाद प्रेम सागर मिश्रा ने बताया कि 'पिछले दो साल में कोरोनाकाल की वजह से कई फैक्ट्रियां बंद थी और उनके पास कोयला रखा हुआ था. जिसके उपयोग वो कर रहे थे और अचानक मांग बढ़ने से कोयले का उत्खनन कम साबित हो रहा था. दो साल पहले कोयले की कमी हुई थी. लेकिन अब कोयले की कमी नहीं है.
नॉन पावर सेक्टर को भी दिया जाएगा कोयला
सीएमडी प्रेम सागर मिश्रा में बताया कि उनकी तरफ से ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि पावर सेक्टर के अलावा नॉन पावर सेक्टर और छोटे छोटे उद्योगों को भी कोयला की आपूर्ति की जाएगी. SECL के कोयले की मांग अधिक है और उसकी पूर्ति की कोशिश की जाएगी. इसके अलावा वे रोड मैप तैय्यार करेंगे और उनकी रणनीति है कि खदानों का दौरा कर वहां की समस्या का समाधान किया जाए ताकि किसी भी सेक्टर को कोयले की कमी ना हो सके.
रेल कॉरिडोर से खुलेंगे प्रगति के द्वार
'कोल डिस्पैच के लिए तेजी से विकसित हो रही एसईसीएल की रेल कॉरिडोर परियोजनाएं कंपनी और अंचल के लिए प्रगति के नए रास्ते खोलेगी. 15 नवंबर को छत्तीसगढ़ ईस्ट रेल लिमिटेड के घरघोड़ा फ्रंट टर्मिनल से पहला कोल रेक लोड किया गया. इसके अतिरिक्त कोरीछापर से धर्मजयगढ़ लाइन के बीच इंजन रोलिंग हो चुकी है. धर्मजयगढ़ को गुड्स शेड के रूप में अधिसूचित किया जा चुका है. इन सब से निश्चय ही मांड रायगढ़ कोलफील्ड से कोयले के डिस्पैच को रफ्तार मिलेगी. सितंबर 2022 तक इस रेल कॉरिडोर के घरघोड़ा पेलमा स्पर लाइन की कमिश्निंग अपेक्षित है. छाल और बड़ोद फीडर लाइन पर भी तेजी से काम हो रहा है. गेवरा पेंड्रा रोड की 135 किलोमीटर लंबी ईस्ट वेस्ट रेल कॉरिडोर पर भी काम शुरू हो चुका है. जिसकी वजह से इस क्षेत्र के लोगों के साथ क्षेत्र का विकास संभव है'.