
मऊ। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 अपने अंतिम चरण की ओर बढ़ चला है, जहां जिले में 7 मार्च को मतदान होने हैं। इसमें बड़े-बड़े दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। दिग्गज़ों में बिहार के राज्यपाल फागू चौहान भी शामिल है, जिनका बेटा रामविलास चौहान उनकी राजनैतिक विरासत को संभालने के लिए इस बार मधुबन विधानसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं।
आसान नहीं होने वाली रामविलास की डगर
हालांकि इस बार मधुबन में काफी रस्साकशी देखने को मिल रही है, जहां भाजपा के बागी भी मैदान में हैं और सभी बड़े दलों के प्रत्याशी भी जीत के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं। इसके चलते रामविलास चौहान के लिए डगर आसान नहीं दिखाई देती।
नाव पर सवार भरत ने खड़ी की राम के लिए मुश्किलें
त्रेता युग में जहां भरत ने राम के लिए सत्ता का त्याग कर दिया था, वहीं आज भाजपा से बागी हो चुके भरत ने राम के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं। टिकट ना मिलने से नाराज भाजपा से बगावत कर चुके भरत भैया ने वीआईपी पार्टी के चुनाव चिन्ह नाव से मैदान में उतर कर भाजपा प्रत्याशी रामविलास चौहान के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
भाजपा के लिए मुसीबत बने बागी, भरत कर रहे थे दो दशकों से तैयारी
मधुबन विधानसभा में अच्छी पकड़ रखने वाले भाजपा के बागी भरत भैया भाजपा के लिए मुसीबत बन सकते हैं। दरअसल भरत भैया पिछले दो दशकों से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे और क्षेत्र में काफी मेहनत भी की थी। उनको उम्मीद थी कि इस बार उन्हें टिकट के लिए वरीयता दी जाएगी लेकिन इस बार उनका टिकट काट दिया गया, जिसके वजह से उन्होंने भाजपा से बगावत कर दी। जिसका असर आने वाले 7 मार्च को देखने को मिल सकता है।
रामविलास चौहान का दावा- पूर्वी यूपी में सर्वाधिक मतों से होगी जीत
हालांकि बिहार के राज्यपाल फागू चौहान के बेटे रामविलास चौहान जीत के लिए काफी आश्वस्त दिखे। उन्होंने कहा कि वह जगह-जगह गांव-गांव घूमकर प्रचार कर रहे हैं और लगभग 80 गांव का भ्रमण कर चुके हैं। मोदी और योगी का काम रूट लेवल तक पहुंच चुका है। इस बार भाजपा 'सबका साथ सबका विकास' के साथ मैदान में है। हम बेघर को घर, मुफ्त अनाज, शौचालय, बिजली और विकास के नाम पर चुनाव में उतरे हैं। उनका इस बार मधुबन विधानसभा में कोई चुनौती नहीं है। भरत भैया का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि जो लोग बगावत किये हैं, उनका कोई आधार नहीं है। बाहरी प्रत्याशी होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मेरे पिता 1985 से मऊ की धरती पर काम कर हैं और लगभग 6 बार विधायक रहे हैं तो बाहरी होने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता। उन्होंने विधानसभा चुनाव 2022 में एक लाख से अधिक वोट पाने का दावा भी किया और कहा कि पूर्वी यूपी में मधुबन सीट सबसे अधिक मतों से जीतने वाली सीट होगी।
बीजेपी से निष्कासित भरत ने लगाया आरोप, कहा- रास्ते से भटक गई है बीजेपी
वही भाजपा में लगभग 2 दशकों से मधुबन की धरती पर मेहनत करने वाले भरत भैया में भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि जातिगत राजनीति बुनियादी समस्याओं का समाधान नहीं है। वह 2009 से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। उस समय मधुबन में बीजेपी बहुत कमजोर थी। उन्होंने यहां कार्यकर्ताओं का श्रृंखला बनाई लेकिन अब भाजपा अपने रास्ते से भटक गई है और मैं मधुबन की धरती से एक नई क्रांति का बिगुल फूंक रहा हूं। यह वंशवाद पूंजीवाद और परिवारवाद के खिलाफ है। मधुबन में भाजपा लड़ाई से बाहर है और प्रतिकूल परिस्थितियों में राम को पार लगाने वाली नाव इस बार भरत को भी पार लगाएगी। सर्व समाज के लोग मेरा साथ देंगे। बता दें, हाल ही में बीजेपी से बगावत के चलते शीर्ष नेतृत्व ने भरत भईया को बीजेपी से निष्कासित कर दिया है।