नई दिल्ली लखनऊ
उत्तर प्रदेश में चुनाव से ठीक पहले दो मंत्रियों समेत 7 विधायकों के भाजपा छोड़ने के बाद अब पार्टी हाई अलर्ट पर है। अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल और निषाद पार्टी के संजय निषाद को लेकर चल रही अफवाहों के बीच भाजपा ने डैमेज कंट्रोल की कोशिशें शुरू कर दी हैं। बुधवार शाम को होम मिनिस्टर अमित शाह ने खुद संजय निषाद और अनुप्रिया पटेल से मुलाकात कर टिकटों को लेकर बात की थी। यही नहीं गुरुवार शाम को एक बार फिर से वह इन नेताओं से मुलाकात करने वाले हैं। इस मीटिंग के बाद गठबंधन में दोनों पार्टियों की सीटें तय हो सकती हैं और 14 जनवरी को लखनऊ में इसका ऐलान किया जा सकता है। भाजपा सूत्रों के मुताबिक निषाद पार्टी ने 15 से 18 सीटों पर लड़ने की मांग की थी। अमित शाह से लंबी मीटिंग के बाद निषाद पार्टी को 15 सीटें दी जा सकती है। खुद निषाद पार्टी के नेता संजय निषाद ने भी यह बात कही है कि उनके उम्मीदवार 15 सीटों पर उतर सकते हैं। हालांकि कहा जा रहा है कि निषाद पार्टी के ही सिंबल पर भाजपा के भी कुछ उम्मीदवार उतर सकते हैं। इसी बैठक में अनुप्रिया पटेल को भी 15 सीटें दिए जाने पर सहमति बनी है। हालांकि उनकी मांग इससे कहीं ज्यादा 35 से 30 सीटों की थी। इससे पहले 2017 में अपना दल को भाजपा के साथ गठबंधन में 11 सीटें मिली थीं और 9 पर जीत हासिल हुई थी।
दरअसल स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान जैसे पिछड़े नेताओं के भाजपा के अलग होने के बाद पार्टी दबाव की स्थिति में है। इस स्थिति का लाभ उठाते हुए अपना दल और निषाद पार्टी ने भी दबाव बढ़ा दिया है। ऐसे में भाजपा संभलकर चल रही है। वह इन नेताओं को छिटकने नहीं देना चाहती। इसके अलावा भाजपा टिकट बंटवारे में भी बड़ा संतुलन बनाए रखना चाहती है। यही वजह है कि लगातार तीन दिनों से वेस्ट यूपी के ही दो चरणों के चुनावों के लिए टिकटों पर विचार चल रहा है। दरअसल भाजपा चाहती है कि टिकट बंटवारे में पूरी तरह से जिताऊ फैक्टर को ही अहमियत दी जाए।