लखनऊ
उत्तर प्रदेश में लगातार बढ़ रहे सड़क हादसों से चिंतित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सभी जिलों से 48 घंटों में अवैध बस और टैक्सी स्टैंड खत्म करने के सख्त निर्देश दिए हैं। साथ ही हेल्मेट-सीट बेल्ट के प्रयोग को अनिवार्य रूप से कड़ाई के साथ लागू करने, ओवरस्पीडिंग, ओवरलोडिंग के विरुद्ध कार्रवाई करने और नियमों के उल्लंघन पर चालान करने को कहा है।
मुख्यमंत्री बुधवार शाम सभी जिलों के पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सड़क दुर्घटना पर अंकुश के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग कर रहे थे। उन्होंने निर्देश दिए कि पार्किंग की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। पुलिस प्रशासन माफिया, अराजक, दलाल प्रकृति के लोगों को दूर रखें। अवैध अथवा डग्गामार बसें किसी भी कीमत पर न चलने दी जाएं।
परिवहन विभाग की रोड सेफ्टी सेल द्वारा सीएम को सौंपी रिपोर्ट प्रदेश सरकार के लिए चिंता का विषय बन गई है। सड़क हादसे कम करने के लिए अधिकारी मंथन में जुटे हैं। चार बिंदुओं पर योजना बनाकर वाहन सवारों पर नजर रहेगी। जन-जागरूकता, रोड इंजीनियरिंग, ट्रॉमा केयर और प्रवर्तन की कार्रवाई तेज गति से करने के आदेश दिए हैं। यूपी में सड़क हादसे रोकने के लिए 11 विभागों यातायात, पुलिस , नगर विकास, नगर निगम, परिवहन, लोक निर्माण विभाग, एनएएसआई, सूचना विभाग, शिक्षा विभाग, चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग को एक साथ काम करने के सुझाव दिए गए हैं। कोई भी बस अड्डा अपराधी को न मिले: अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने बताया कि किसी भी बस अड्डे को किसी माफिया या अपराधियों को न दिया जाए। ऐसा हुआ तो डीएम-एसपी पर कार्रवाई होगी। जहां अवैध बस-टैक्सी अड्डे मिले थानेदारों पर कार्रवाई होगी। कहीं अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। नगर आयुक्त एडीएम और एसपी सिटी बैठक कर रणनीति बना लें । व्यापारियों के साथ समन्वय कर लें ताकि अतिक्रमण न कर सके। जिलों से अवैध बस टैक्सी अड्डे की रिपोर्ट मंगवा ली गई है।
आगरा-कानपुर हादसों के लिए ‘कुख्यात’
प्रदेश में सड़क हादसों के मामले में कानपुर पहले, प्रयागराज दूसरे और आगरा तीसरे स्थान पर है। सर्वाधिक ब्लैकस्पॉट वाले टाप-10 जिलों में भी आगरा के साथ मथुरा भी शामिल है। डग्गेमार वाहनों और अनियंत्रित ट्रैफिक पर लगाम न होने से यूपी में हर महीने 1583 लोग सड़क हादसे में जान गंवा रहे हैं। इस लिहाज से यूपी में 19 हजार घायल हर साल दम तोड़ रहे हैं। तमाम कोशिशों के बावजूद सड़क हादसों में कमी नहीं आ रही है। इलाज की व्यवस्था नहीं है।