महासमुंद
जिले में बाढ़ से होने वाली जनहानि और धनहानि को रोकने के मकसद से जिला स्तर पर तैयारियां पिछले जून से शुरू हो गई है। मानसून के चलते कल रात को भारी बारिश संभावित अतिवृष्टि, नदी-नालों के उफान तथा बाढ़ की स्थिति निर्मित होने की वजह से लोगों की जान की सुरक्षा के कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता एवं तत्काल राहत पहुँचने के निर्देश दिए। आगे भी भारी बारिश की संभावना को देखते हुए कलेक्टर नीलेश कुमार क्षीरसागर ने जिलेवासियों से अपील करते हुए कहा है कि नदी-नालों, पुराने पुल-पुलिया आदि को पार करते समय एहतियात बरतें। इसके साथ ही आपदा की जानकारी मिलने पर जिला स्तरीय बाढ़ कन्ट्रोल रूम +91- 07723-223305 में इसकी सूचना दें। यह कंट्रोल रूम चौबीसों घंटे काम कर रहा है। महासमुंद जिले में चालू मानसून के दौरान विगत एक जून से आज 16 जुलाई तक 377 मिलीमीटर औसत वर्षा रिकार्ड की गयी है।
कलेक्टर क्षीरसागर ने जन सामान्य से कहा कि वे अपने शहर या गांव में बाढ़ की संभावना और विगत वर्ष में बाढ़ के सबसे उच्च स्तरों को जानें। अपनी बहुमूल्य वस्तुओं और महत्वपूर्ण दस्तावेजों को सुरक्षित रखें। अपने नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य तथा सहायता केन्द्र की जानकारी रखें। आपातकालीन किट तैयार करें, जिसमें सूखा खाद्य पदार्थ, पेयजल, आवश्यक दवाएं, रेडियों, टॉर्च, जरूरी कागजात, आपात दूरभाष नम्बर सूची, मोमबत्ती, माचिस, रस्सी आदि शामिल हों तथा इन्हें उपयोग हेतु चालू हालत में रखें।
बाढ़ की संभावना को देखते हुए पालतू जानवरों को पहले से ही सुरक्षित तथा ऊंचे स्थानों पर भेज दें या जल स्तरबढ़ रहा हो, तो उन्हें खुला छोड़ दें। बाढ़ की चेतावनी मिलने पर उसका पालन करें, अपने पड़ोसियों को सूचित करें तथा सुरक्षित, ऊंचे स्थानों पर चलें जाएं यदि स्थान छोड़ रहे हैं, तो अपने साथ आपाकालीन किट जरूर ले जाएं। घर छोड?े से पहले बिजली का मुख्य स्विच, गैस और पानी के नलों को बंद कर दें एवं मित्रों व रिश्तेदारों को अपने प्रस्थान की जानकारी दें। पुलिस और दमकल अधिकारियों के अनुदेशों का पालन करें व उन्हें सहयोग दें, आपकी सुरक्षा उनका ध्येय है। उबाला हुआ या क्लोरीन की टेबलेट से साफ किया हुआ पानी पियें। सांप, विषधर प्राणियों से बचकर रहें, प्राय: बाढ़ के समय सांप के काटने की घटनाएं होती है। नवीनतम जानकारी हेतु स्थानीय मौसम और समाचार रिपोर्टों को सुनें। अपने आसपास वातावरण को साफ एवं स्वच्छ रखें।
कलेक्टर ने कहा कि बाढ़ का पानी न पियें और न ही उससे भोजन पकाएं। बाढ़ के पानी के सम्पर्क में आया हुआ खाद्य पदार्थ न खायें। बाढ़-ग्रस्त क्षेत्र में न जाएं तथा गाड़ी चलाने से बचें। मदद के बिना बाढ़ के पानी में न जाएं, बच्चों को बाढ़ के पानी के पास खेलने ना दें। उन बिजली उपकरणों का प्रयोग न करें, जो बाढ़ के पानी में भीगे हों। अफवाहें न फैलायें और न ही उन पर ध्यान दें।