देहरादून
उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा में 18 ऐसे नेता विधायक चुनकर आए हैं जो अपनी मूल पार्टी छोड़ दूसरे दलों में शामिल हुए और फिर विधानसभा तक पहुंचे। इनमें से कुछ नेताओं ने कई साल पहले दल बदल कर लिया था तो कुछ हाल में ही दूसरी पार्टियों में शामिल होकर विधायक बने हैं। कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होकर 14 नेता विधायक बने हैं। भाजपा को उत्तराखंड में दोबारा सत्ता दिलाने में इनका भी कुछ न कुछ योगदान है, जबकि भाजपा छोड़ कांग्रेस में जाकर दो नेताओं को विधायक बनने का मौका मिला है।
भाजपा के टिकट पर इस बार धनौल्टी से चुनकर आए प्रीतम पंवार पहले यूकेडी व निर्दलीय विधायक रह चुके हैं। इसी तरह विकासनगर के विधायक मुन्ना सिंह चौहान पहले सपा और बसपा में रह चुके हैं। चकराता के विधायक प्रीतम सिंह पूर्व में कुछ समय के लिए भाजपा में गए थे लेकिन फिर वापस कांग्रेस में लौट गए थे। प्रीतम लम्बे समय से कांग्रेस के टिकट पर विधायक बन रहे हैं। इसी तरह कांग्रेस के विधायक यशपाल आर्य भी पिछली विधानसभा में भाजपा में थे। पुरोला से पहली बार विधायक चुने गए दुर्गेश्वर लाल भी कुछ समय के लिए कांग्रेस में रह चुके हैं। हालांकि वह कुछ दिन ही कांग्रेस में रहे थे। भाजपा में आए कुछ विधायक काफी पहले कांग्रेस छोड़ चुके थे और लगातार जीतते रहे हैं।
भाजपा में कांग्रेस गोत्र के विधायक
जागेश्वर: मोहन सिंह मेहरा
सोमेश्वर: रेखा आर्य
नैनीताल: सरिता आर्य
चौबट्टाखाल: सतपाल महाराज
टिहरी: किशोर उपाध्याय
नरेंद्रनगर: सुबोध उनियाल
रायपुर: उमेश शर्मा
रुड़की: प्रदीप बत्रा
केदारनाथ: शैलारानी रावत
भीमताल: राम सिंह कैड़ा
यमकेश्वर: रेनू बिष्ट
बागेश्वर: चंदन रामदास
थराली: भोपाल राम
गंगोत्री : सुरेश चौहान
कांग्रेस में भाजपा गोत्र के विधायक
किच्छा: तिलकराज बेहड़
जसपुर : आदेश चौहान
भाजपा में यूकेडी गोत्र के विधायक
धनोल्टी: प्रीतम पंवार