गोरखपुर
स्टांप एवं निबंधन (रजिस्ट्री) तथा संभागीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) में भ्रष्टाचार चरम पर है। बिना घूस लिए कोई काम न होने की शिकायत के बाद करीब एक माह तक की गई जांच और स्टिंग में दोनों विभागों का सच सामने आया है। भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद डीएम के आदेश पर नायब तहसीलदार सदर ने रविवार की रात उप निबंधक केके तिवारी समेत 12 अधिकारियों-कर्मचारियों व बाहरी व्यक्तियों के विरुद्ध कैंट और शाहपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। दोनों विभागों में अधिकारी और कर्मचारी दलालों के जरिए रिश्वत ले रहे थे। पुलिस ने देर रात एक आरोपित विजय मिश्र को गिरफ्तार कर लिया, जबकि उप निबंधक समेत अन्य की तलाश चल रही है।
जिलाधिकारी विजय किरन आनंद को शिकायत मिली थी कि कलेक्ट्रेट परिसर स्थित रजिस्ट्री व चरगांवा में खुले संभागीय परिवहन कार्यालय में अधिकारी व कर्मचारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। दोनों विभागों में घूस दिए बगैर कोई काम नहीं हो रहा है। डीएम ने दोनों विभागों में अपने सूत्रों के जरिए गोपनीय जांच कराई तो बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की जानकारी हुई। इसके बाद उन्होंने स्टिंग आपरेशन की जिम्मेदारी तहसीलदार सदर को दी। तहसीलदार ने दलालों के साथ भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी व कर्मचारियों को चिह्नित किया और उनका वीडियो बना लिया। प्रमाण मिलने के बाद डीएम ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया।
रविवार को नायब तहसीलदार की तहरीर पर रजिस्ट्री विभाग के उप निबंधक केके तिवारी, विजय मिश्रा, अशोक उपाध्याय, जितेंद्र जायसवाल, राजेश्वर ङ्क्षसह के खिलाफ थाना कैंट जबकि आरटीओ में तैनात होमगार्ड अर्जुन, साइबर कैफे व वीडियो फुटेज में दिख रहे पांच अज्ञात लोगों के खिलाफ थाना शाहपुर में कूटरचित दस्तावेज तैयार कर जालसाजी करने व 7/13 भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस की एक सीडी में स्टिंग की वीडियो दी गई है, जिसमें बाहरी व्यक्ति भी दिख रहे हैैं।