बुलंदशहर
उद्यमियों के लिए अच्छी खबर है। सूबे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अमल करते हुए पावर कॉरपोरेशन ने अल्पकालिक (शॉर्ट-टर्म) ओपन एक्सेस के जरिए बिजली प्राप्त करने की ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध करा दी है। सिकंदराबाद स्थित औद्योगिक इकाइयों को इससे बिजली प्राप्त करने में काफी आसानी हुई। ओपन एक्सेस में शेयर बाजार की तरह बिजली मिल जाती है। सिकंदराबाद की फैक्ट्रियां अब टाटा, रिलायंस, अडानी, गुजरात समेत विभिन्न कंपनियों से बिजली खरीद रही हैं। इसमें रोजाना रेटों में उतार-चढ़ाव होता है। दिन में महंगी और रात में सस्ती बिजली मिल रही है।
जिले में ओपन एक्सेस की सुविधा औद्योगिक क्षेत्र के लिए दी जा रही है। इसमें बिजली के रेट शेयर बाजार की तरह अप-डाउन होते हैं। औद्योगिक क्षेत्र में फैक्ट्री संचालक जो कंपनी सस्ती बिजली देते हैं। उसी से बिजली खरीदते हैं। हालांकि ट्रांसमिशन की सुविधा पावर कॉरपोरेशन की ओर से ही दी जा रही है। पावर कॉरपोरेशन इसका चार्ज वसूलता है। फैक्ट्रियों को रात के समय बिजली ज्यादा सस्ती मिलती है। इसलिए फैक्ट्रियां रात के समय ज्यादा बिजली खरीदती हैं। ओपन एक्सेस के तहत पावर कॉरपोरेशन के मुकाबले एक रुपये तक का अंतर होता है, जिससे यूनिट में लाखों रुपये का अंतर आता है। इससे फैक्ट्री संचालकों को काफी लाभ मिल जाता है।
खुर्जा में भी शुरु हुआ ओपन एक्सेस
खुर्जा में भी ओपन एक्सेस से फैक्ट्रियों ने बिजली खरीदनी शुरु कर दी है। एक क्रीमी फैक्ट्री ओपन एक्सेस के तहत बिजली खरीद रही है। पावर कॉरपोरेशन के मुकाबले अन्य कंपनियों से बिजली सस्ती मिल रही है, जिससे कंपनियों को बिल में काफी राहत मिल रही है।
वेबसाइट पर अपडेट होते हैं रेट
ओपन एक्सेस के तहत रेट का रोजाना उतार-चढ़ाव होता है। यह रेट इंडियन एनर्जी एक्सचेंज पर देखे जा सकते हैं। इसमें बिड देखकर फैक्ट्री बिजली खरीदती हैं। शेयर बाजार की तरह दिनभर में कई बार रेटों कभी उछाल होता है तो कभी गिरावट आती है।
पावर कॉरपोरेशन के रेट हैं निर्धारित
पावर कॉरपोरेशन के रेट निर्धारित हैं। फिलहाल दिन में सात रुपये और शाम के समय आठ रुपये प्रति यूनिट हैं। वहीं रात के समय छह रूपये प्रति यूनिट चल रही है। इससे सस्ती मिलने पर फैक्ट्री विभिन्न कंपनियों से खरीदती हैं।
पावर कॉरपोरेशन के एसडीओ नितिन वर्मा कहते हैं किओपन एक्सेस के तहत 9 कंपनियां बिजली खरीद रही हैं। बड़े उद्योगों को यह सुविधा मिल रही है। रोजाना के अनुसार फैक्ट्री संचालक सस्ती बिजली देने वाली कंपनी से खरीदते हैं। पावर कॉरपोरेशन ट्रांसमिशन का चार्ज लेता है।