बिलासपुर
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रदेश में विद्युत वितरण कंपनी की ओर से की जा रही 3000 लाइनमैन की भर्ती प्रक्रिया के विज्ञापन को निरस्त कर दिया है और नये सिरे से विज्ञापन जारी करने के निर्देश हाईकोर्ट के जस्टिस पी सेम कोशी ने दिए हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने परिचारक (लाइनमैन) के 3000 पदों पर सीधी भर्ती के लिए 12 अगस्त 2021 को विज्ञापन जारी किया था। इसमें करीब एक लाख 36 हजार बेरोजगार युवाओं ने आवेदन किया था। चयन का आधार 10वीं की बोर्ड परीक्षा में प्राप्त अंक और पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी में कार्य अनुभव के बोनस अंक मिलाकर बनाई गई। भर्ती मेरिट लिस्ट के आधार पर किया जाना था। 10वीं में प्राप्त अंकों के प्रतिशत को 70 प्रतिशत वेटेज देना था। इसी तरह कार्य अनुभव के लिए एक से तीन साल तक के अनुभवी को 20 अंक और 300 से ज्यादा अनुभव वाले को 30 अंक देने का प्रावधान रखा गया था।
रायपुर के याचिकाकर्ता बेखराम साहू ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए आरोप लगाया कि विद्युत वितरण कंपनी ने भर्ती में संविदा कर्मियों को प्राथमिकता देने के साथ ही उनकी नियुक्ति तैयारी कर ली है। इसी हिसाब से अनुभव अंक वाले को प्राथमिकता दी जा रही है, जो संवैधानिक नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार भर्ती में समानता होना चाहिए लेकिन विद्युत वितरण कंपनी ने भर्ती में भेदभाव किया है। इस तरह से मनमानी पूर्ण तरीके से की जा रही भर्ती को निरस्त करने की मांग की गई।
बेखराम ने बताया कि वह रायपुर स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नालॉजी में कार्य करता था लेकिन उसके अनुभव को चयन में कोई मान्यता नहीं दी गई है। यहां तक कि विद्युत तकनीकी में आईटीआई की उपाधि को भी कोई वेटेज नहीं दिया गया है। पूरी प्रक्रिया खुली और सीधी भर्ती के नाम पर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी में कार्यरत लगभग 2700 संविदा कर्मियों को नियमित नियुक्ति देने के लिए नियम बनाई गई है। इससे सामान्य बेरोजगार ठगे जा रहे हैं क्योंकि उनके चयनित होने का अवसर बहुत कम है। हाईकोर्ट के जस्टिस पी सेम कोसी ने याचिकाकर्ता के तर्कों पर सहमति जताते हुए भर्ती प्रक्रिया को निरस्त कर नए सिरे से भर्ती के लिए विज्ञापन जारी करने का आदेश दिया।