पूर्णिया
बिहार के पूर्णिया सिविल कोर्ट में यह पहली बार होगा जब किसी पीड़िता को मुआवजे की रकम लौटानी होगी। अक्सर कई मामलों में पीड़िता आरोपी के मेल में आकर कोर्ट में पूर्व के बयान से पलट जाती है और इसका फायदा आरोपी को मिल जाता है। ऐसा करना एक पीड़िता को भारी पड़ रहा है। तीन साल पहले रेप केस की इस तथाकथित पीड़िता को मिली मुआवजे की राशि अब लौटानी पड़ेगी। उसे अदालत के आदेश से साढ़े दस लाख रुपए का भुगतान हुआ था। रकम लेने के बाद महिला अपने बयान से पलट गई। उसने अदालत में आकर रेप होने की बात को गलत ठहराया और उसका समर्थन उसके घरवालों ने भी किया, जबकि पूर्व में पीड़िता ने 164 के बयान में रेप की पुष्टि की थी। आखिरकार अदालत को साक्ष्य के अभाव में आरोपी को मुकदमा से बरी करना पड़ा। वहीं पीड़िता को मिली मुआवजे की सारी रकम की वसूली के लिए अदालत ने जिला विधिक सेवा प्राधिकार को निर्देश जारी किया है। पीड़िता के खिलाफ यह सख्ती पॉक्सो कोर्ट ने बरती है। मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश प्रशांत कुमार झा को जानकारी हुई कि पीड़िता को जिला विधिक सेवा प्राधिकार के आदेश पर 15 जनवरी 2019 को 10,50,000 रुपए प्रतिकर राशि के रुप में दी गई है। उन्होंने माना कि अनुसंधान के दौरान पीड़िता को मुआवजे के रूप में बड़ी रकम दी गई। पीड़िता और उसके परिवार वाले न्याय प्रणाली और लोक कल्याणकारी प्रावधानों का दुरूपयोग कर धोखाधड़ी किया क्योंकि पीड़िता ने अदालत में आकर स्पष्ट कहा कि उसके साथ कोई घटना नहीं हुई है।
क्या है मामला
डगरूआ थानाक्षेत्र की रहने वाली नाबालिग लड़की ने थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी। इसमें उसने आरोप लगाया कि 19 अप्रैल 2018 को वह मायके में थी। उसके माता-पिता ननिहाल गए थे। रात करीब दस बजे उसके गांव का एक युवक उसे जबरन मकई खेत में ले जाकर दुष्कर्म किया। माता-पिता के आने पर घटना की जानकारी दी। इसके बाद थाने में शिकायत दर्ज करायी। अदालत में 164 के तहत पीड़िता बयान भी दर्ज कराया गया। इसके बाद न्यायालय में मुकदमें का ट्रायल शुरू हुआ। अदालत में पीड़िता एवं उसके परिवारवालों ने आकर बयान दिया कि दुष्कर्म की कोई घटना नहीं हुई। आरोपी युवक के साथ पीड़िता का झगड़ा हुआ था और दूसरे के बहकावे में आकर रेप केस कर दिया। दूसरी तरफ पीड़िता और आरोपी युवक की तरफ से एक सुलहनामा भी अदालत में दाखिल किया। अदालत ने साक्ष्य के अभाव में आरोपी को बरी कर दिया।
मुआवजे की व्यवस्था
बिहार राज्य पीड़ित प्रतिकर संशोधन स्कीम 2019 के तहत कानून ने पीड़िता के जख्मों को भरने की कोशिश की है। उसे आर्थिक मदद देकर जीवन को फिर से पटरी पर लाने का प्रयास किया जाता है। वहीं अगर पीड़िता नाबालिग है तो मुआवजे की तय रकम को पचास फीसदी तक बढ़ाकर मदद की जाती है। इसके लिए जिलाजज की अध्यक्षता में एक कमेटी होती है जिसके निर्देश पर पीड़िता को भुगतान किया जाता है। इस तरह के मामले में पीड़िता के बयान को महत्वपूर्ण माना जाता है। कानून के जानकारों का मनाना है कि कई मामलों में छोटे-छोटे विवादों में भी संगीन आरोप लगाकर प्राथमिकी दर्ज करा दी जाती है और बाद में ऐसे मामलों में सुलह कर लिया जाता है। वहीं अदालत को गुमराह कर लोग कानूनी सहायता भी प्राप्त कर लेते हैं।