कानपुर
शहर में 3 जून को हुई हिंसा की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने कोर्ट में केस डायरी दाखिल की है। पिछले महीने कानपुर में पथराव के बाद हिंसक झड़पें हुई थीं। उस समय एक स्थानीय संगठन ने निलंबित भाजपा नेता नुपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद के बारे में टिप्पणी के विरोध में बंद का आह्वान किया था। केस डायरी पब्लिक प्रोसिक्यूटर दिनेश अग्रवाल ने दायर की है। एसआईटी की जांच के मुताबिक, उपद्रवियों को हिंसा फैलाने के लिए पैसे दिए गए थे।
पेट्रोल बम फेंकने वालों को 5000 रुपये
केस डायरी में कहा गया है कि पथराव करने वालों को कथित तौर पर 500-1,000 रुपये दिए गए थे। जिन लोगों ने दंगों के दौरान पेट्रोल बम का इस्तेमाल किया था, उन्हें कथित तौर पर 5,000 रुपये का भुगतान किया गया था। एसआईटी ने बताया कि पकड़े जाने पर बदमाशों को मुफ्त कानूनी मदद का आश्वासन दिया गया। केस डायरी में बताया गया है कि उपद्रवियों को हंगामे के लिए सात से नौ दिन की ट्रेनिंग दी गई थी। 3 जून को हुई कानपुर हिंसा में अब तक 60 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
हिंसा मामले में पुलिस पर भी गिरी थी गाज
नूपुर शर्मा के बयान के बाद कानपुर में जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसा के करीब एक महीने के बाद 3 थानेदारों पर कार्रवाई हुई थी। इसमें से 2 थानेदार सस्पेंड हुए थे, जबकि एक को लाइनहाजिर किया गया था। प्रभारी निरीक्षक बेकनगंज नवाब अहमद और प्रभारी निरीक्षक बजरिया संतोष कुमार सिंह निलंबित कर दिए गए थे। वहीं प्रभारी निरीक्षक चमनगंज जैनेन्द्र सिंह लाइन हाजिर हुए थे। मामले में पुलिस ने मास्टर माइंड हयात जफर और उसके साथी जावेद अहमद खान, मो सूफियान और मोहम्मद राहिल को जेल भेजा था।
बिल्डर-नेता कनेक्शन पर भी नजर
कानपुर में हिंसा मामले में जांच की आंच सफेदपोशों तक भी जाने लगी थी। खबर थी कि मामले की जांच कर रही एटीएस के रडार पर 22 नेता हैं। अधिकारियों ने जांच के दौरान गहन छानबीन के बाद इन सफेदपोशों की एक सूची बनाई थी। बताया जा रहा था कि इसमें एक महिला का नाम भी शामिल है। उत्तर प्रदेश के कानपुर में जुमे की नमाज के तुरंत बाद परेड, नयी सड़क और यतीमखाना समेत कई इलाकों में हिंसा भड़क गई थी।