गोरखपुर
चुनाव खत्म होने के बाद बढ़ रही पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों और रूस-यूक्रेन युद्ध के साइड इफेक्ट से रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतें आसमान पर हैं। नमक, तेल, मिर्चा, नीबू से लेकर रसोई गैस सिलेंडर की कीमतों में इजाफा से घर के महीने के बजट में 20 की बढ़ोतरी हो गई है। लोग कम वजन की वस्तुओं को इस उम्मीद में खरीद रहे हैं कि शायद अगली बार कीमतें कुछ कम हो जाएं।
नमक की कीमतें लंबे समय से नहीं बढ़ी थीं लेकिन पिछले दिनों अग्रणी ब्रांड ने प्रति किलो 2 रुपये की बढ़ोतरी कर दी है। वहीं, 12 रुपये में बिकने वाली मैगी की कीमत 14 रुपये पहुंच गई है। साबुन और सर्फ के पैकटों का वजन कम हो रहा है और दाम बढ़ रहा है। बिछिया कैंप में किराना कारोबारी वीरेन्द्र मौर्या बताते हैं कि ‘साबुन, तेल, सर्फ, केक, बिस्किट आदि की कीमतों में 10 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई है। पैकिट आटे की कीमत प्रति किलोग्राम 32 रुपये पहुंच गई है।’ सरसों की कीमतों में एक महीने के अंदर प्रति कुंतल 1500 रुपये की कमी आई है, लेकिन तेल की कीमतों पर कोई असर नहीं है। चेंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष संजय सिंघानिया का कहना है कि ‘थोक में सरसों की कीमतें बंपर फसल के चलते 1500 रुपये प्रति कुंतल तक कम हुई हैं। लेकिन एक लीटर सरसों तेल की कीमत 185 रुपये तक है। कंपनियों की तरफ से मुनाफाखोरी हो रही है। यह स्थिति तब है जब मार्केट में मांग काफी कम है।’ वहीं मशीनों पर सरसों तेल की कीमतें 240 रुपये प्रति किलो से कम नहीं हो रही है। किराना मंडी के अनिल जायसवाल का कहना है कि ‘कच्चे माल की कीमतों के साथ ही ट्रांसपोर्टरों ने माल भाड़ा बढ़ा दिया है। अभी तो मांग नहीं है। शादियों को लेकर खरीदारी होगी तो कीमतों में और उछाल आने की संभावना है।
10 रुपये में बिक रहा नीबू
हरी सब्जियों की कीमतें तो आसमान पर हैं ही, नीबू-मिर्चा की कीमतें भी बेकाबू हैं। बाजार में 10 रुपये में एक नीबू बिक रहा है। वहीं हरा मिर्चा की कीमते 50 से 60 रुपये पांव हो गई है। पैड़लेगंज निवासी राजीव पांडेय ने बताया कि सब्जी वाले 10 रुपये का मिर्चा देने को तैयार नहीं है। वहीं परवल 200 रुपये किलो तो लौकी 40 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है। सूरजकुंड निवासी रीता श्रीवास्तव कहती हैं कि 200 रुपये में भी दो समय की सब्जी नहीं मिल रही है। रोजमर्रा की जरूरतों वाली वस्तुओं पर नियंत्रण नहीं रह गया है।