मुकेश सहनी का ऐलान, सत्ता में रहें या नहीं कोई मछुआरों का हक नहीं मार सकता

पटना
बिहार कैबिनेट से विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) सुप्रीमो मुकेश सहनी को बर्खास्त कर दिया गया है। इससे राज्य की राजनीति में उथल-पुथल मच गई है। सोशल मीडिया पर भावुक संदेश देने वाले मुकेश सहनी ने अब आक्रामक रुख अपना लिया है। उन्होंने बीजेपी पर गलत बयान देने का आरोप लगाया है। इसके अलावा उनका कहना है कि वह सत्ता में रहें या नहीं रहें लेकिन उनके जिंदा रहते कोई भी मछुआरों का हक नहीं मार सकता। प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सहनी ने कहा, 'मेरे 16 महीने के मंत्री कार्यकाल में मैंने राज्य की 13 करोड़ जनता की सेवा करना का प्रयास किया। सभी जाति- धर्म के लोगों के लिए काम किया। बिहार के भविष्य के लिए पशुपालन एवं मत्स्य क्षेत्र में कुछ निर्णायक कार्य को गति प्रदान किया। बिहार की समस्त जनता, एनडीए के सभी सहयोगी दल एवं माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मुझे यह अवसर देने के लिए आभार।'

जनता करेगी मेरा न्याय
पूर्व मंत्री ने आगे कहा कि मैं निषाद समाज को एससी-एसटी आरक्षण, अतिपिछड़ा समाज के आरक्षण को 15 फीसदी बढ़ाने एवं बिहार के सम्मान और हर जाति धर्म के संपूर्ण विकास की लड़ाई के लिए समर्पित हूं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष गलत बयानबाजी कर रहे है। मैं जनता के बीच जाऊंगा। उन्हें अपने साथ हुए अन्याय के बारे में बताऊंगा। अब जनता ही मेरा न्याय करेगी।

कोई नहीं छीन सकता मछुआरों का हक
वीआईपी सुप्रीमों ने कहा, 'मेरे जिंदा रहते हुए परंपरागत मछुआरों निषाद समाज की हकमारी कोई नहीं कर सकता है। यह अतिपिछड़ा के अस्तित्व की लड़ाई है। पीछे नहीं हटेंगे और आगे की घोषणा जल्द की जाएगी।' उन्होंने कहा कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल गलत बयानबाजी कर रहे है। सहनी ने जायसवाल के आरोपों का भी जवाब दिया।

क्यों जुदा हुईं वीआईपी और बीजेपी की राहें
मुकेश सहनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने से पहले भी बीजेपी ने वीआईपी प्रमुख पर हमला बोला था। तब उन्होंने तंज कसते हुए कहा था कि मेरी मदद से बीजेपी बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। मेरी वजह से बीजेपी को विधानसभा चुनाव में 74 सीट मिली थी और अब मेरे तीन विधायक भी बीजेपी में शामिल हो गए हैं। इसके साथ ही अब उनके विधायकों की संख्या 77 हो गई है। बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव में जब सहनी ने बीजेपी के खिलाफ आगाज किया था तभी से उनके और बीजेपी के बीच तनातनी चल रही थी। तब से ही बिहार बीजेपी के नेता उनपर कार्रवाई की मांग कर रहे थे। फिर बोचहां में बीजेपी के अनुरोध को दरकिनार कर उन्होंने अपना उम्मीदवार उतार दिया था। इसके बाद सीएम नीतीश कुमार पर उनके खिलाफ एक्शन लेने का दबाव भी था। बाद में उन्होंने राज्यपाल को सहनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की अनुशंसा की। जिसपर राज्यपाल ने मुहर लगा दी। इस तरह सहनी वीआईपी से आम बन गए।