बेमेतरा
कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र ढोलिया बेमेतरा में मौसमी फल ड्रेगन फ्रुट का उत्पादन किया जा रहा है। यह नागफनी प्रजाती का फल है जिसे हिन्दी में पिताया या कमलम कहा जाता है। दक्षिण अमेरिकी उत्पत्ति वाला यह फल कृषि महाविद्यालय में जोधपुर से मंगाया गया था। जिसे अब 8 वर्ष हो चुका है और यह फल सतत् 3 वर्षों से उत्पादन दे रहा है। कृषि महाविद्यालय में इस फल की रेड डिलिसियस प्रजाति को लगाया गया है।
यह फल विभिन्न पौष्टिक तत्वों जैसे फेनोलिब एसिड, एस्कार्बिक एसिड, फाइबर और एंटी आॅक्सीडेंट से भरपुर है जिसके कारण यह इम्युनिटी बढ़ाने एवं डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद करता है। छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे द्वारा इस ड्रेगन फ्रुट के स्वाद को पसंद किया गया है। कृषि महाविद्यालय में लगाई गई यह लाल रंग की प्रजाति अपने मीठे सुगंध, एरोमा एवं मिठास के कारण इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति डॉ. गिरिश चंदेल द्वारा भी सराहा गया है, इसके साथ-साथ बेमेतरा जिले के जिलाधीश जितेन्द्र कुमार शुक्ला द्वारा भी इस फल की सराहना की गई है। इसके उत्पादन से संबंधित मुख्य बात यह है कि नागफनी प्रजाति का होने के कारण इसे पथरीली एवं सुखे क्षेत्रों में भी लगाया जा सकता है। कृषि महाविद्यालय ढोलिया भी इसी तरह के भूमि में ड्रेगन फ्रुट के अनुसंधान में सफल रहा है एवं सतत् तीन वर्षों से कम उर्वरक, खाद्य एवं पानी के बिना उत्पादन दे रहा है। कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एम. पी. ठाकुर द्वारा इस फल के उत्पादन को बंजर क्षेत्रों में बढ़ावा देने हेतु विशेष प्रयास किये जा रहे हैं।