रायपुर
शहरी सत्ता के लिए सूबे के 15 निकायों में चुनाव हुआ है। कल परिणाम भी आ जायेंगे। बीरगांव,भिलाई,रिसाली,चरौदा के साथ और भी जगहों पर हुए चुनाव में नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। जीत और हार भले ही पार्टी की रीति नीति और कामों के आधार पर तय होने की बात कही जा रही है ,लेकिन जो नेता या तो इस क्षेत्र का सीधे तौर पर प्रतिनिधित्व करते हैं या प्रभार का जिम्मा मिला हो,निश्चित तौर पर उनकी प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है। एक बड़ा राजनीतिक आकलन भी यह चुनाव परिणाम तय करेगा।
राजधानी रायपुर से सटे बीरगांव की बात करें तो स्थानीय विधायक,पूर्व मंत्री व कांग्रेस के कद्दावर नेता सत्यनारायण शर्मा की प्रतिष्ठा सबसे ज्यादा जुड़ी हुई है। उम्र के इस पड़ाव पर भी उन्होने काफी मेहनत की है,प्रचार-प्रसार से लेकर हर रणनीतिक मामलों में वे पैनी नजर रखे हुए थे। उनके बेटे पंकज शर्मा की युवा टीम उन्हे बैक अप दे रही थी। वरिष्ठ मंत्री रविन्द्र चौबे को यहां का प्रभार मिला था,स्वाभाविक है इस पर भी नजर होगी। रायपुर के अधिकांश कांगे्रस नेताओं को जिम्मा दिया गया था,लेकिन भीतरखाने की खबर है कि कई नेता प्रचार में उतरे ही नहीं। उधर भाजपा की बात करें तो पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर व नारायण चंदेल,मोतीलाल साहू को प्रभार मिला था,सांसद सुनील सोनी और रायपुर नगर निगम के भाजपा पार्षदों ने पूरी ताकत झोंकी है। तीसरी पार्टी जोगी कांग्रेस की करें तो कह सकते हैं यहां उनका वजूद है इसलिए जोगी के बहू-बेटे ने प्रचार किया। वैसे पूर्व नपा अध्यक्ष ओमप्रकाश देवांगन एंड टीम की कितनी पकड़ रह गई है यह भी परिणाम बतायेगा।
यदि भिलाई,रिसाली व चरौदा इलाके की बात करें तो यहां बड़े-बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा लगी हुई है। कांग्रेस की बात करें तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल,गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू,मंत्री चौबे व रुद्र गुरु का इलाका आता है। विधायक अरूण वोरा व देवेन्द्र यादव की भी जवाबदेही बनती है। वहीं भाजपा में कमोबेश यही स्थिति है राष्ट्रीय भाजपा नेत्री सांसद सरोज पांडेय ने सबसे ज्यादा जोर लगाया है। सांसद विजय बघेल,विधायक विद्यारतन भसीन,पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय,प्रभारी सांसद संतोष पांडेय,बृजमोहन अग्रवाल समेत और भी नेताओं की लंबी सूची है। हालांकि किसी तीसरे दल के लिए करने कुछ नहीं हैं लेकिन भाजपा व कांग्रेस से अलग होकर निर्दलीय चुनाव लडऩे वाले कई वार्ड स्तर के बड़े नेता है जिनकी प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है।
मेहनत तो सभी ने अपने स्तर पर भरपूर की है,कुछ जीतने व जीतवाने के लिए तो कुछ हरवाने के लिए भी मेहनत करते रहे हैं। 23 दिसंबर को परिणाम आ जायेगा,देर शाम तक स्पष्ट हो जायेगा कि किन किन नेताओं का चेहरा चमका और दमका और किनका मुरझाया। प्रतिष्ठा मापने के लिए यह परिणाम और पैमाना काफी होगा।