गंगा किनारे रहने वालों में बढ़ रही पथरी और कैंसर, 6 महीने पहले ऐसे मिलता है इशारा

कानपुर
गंगा किनारे रहने वालों में पित्ताशय की पथरी और कैंसर का ग्राफ तेजी से बढ़ने लगा है। हालांकि, पथरी छह महीने पहले ही तकलीफ का इशारा करने लगती है। पेट में दर्द, उबकाई, वजन में गिरावट, खुजली और बुखार आने लगे तो यह पित्ताशय की पथरी (गाल ब्लैडर में स्टोन) का साफ संकेत है। महिलाओं में 31 तो पुरुषों में 41 साल की उम्र के बाद गाल ब्लैडर की पथरी होने की आशंका होती है। हालांकि, पांच साल की उम्र में पित्ताशय की पथरी सामने आ रही है।

यह खुलासा जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज और जेके कैंसर संस्थान के संयुक्त शोध में हुआ है। शोध में पित्ताशय कैंसर के 90 मरीजों को लिया गया। 30 महीने तक चले शोध में सामने आया कि पित्ताशय में कैंसर होने का मुख्य कारण पथरी ही होता है। इसलिए पथरी भरे पित्ताशय को लम्बे समय तक नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। शोध में सामने आया कि पित्ताशय कैंसर का 80 फीसदी कारण पथरी और 20 फीसदी कारण टाइफाइड है। महिलाओं में पथरी सबसे ज्यादा बनती है। शोध में शामिल 61 महिलाएं तो 29 पुरुष गाल ब्लैडर के कैंसर के शिकार हुए।