वीर गुण्डाधूर आदिवासी अस्मिता के प्रतीक: संसदीय सचिव

रायपुर
आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान नवा रायपुर एवं बस्तर जिला प्रशासन द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर बस्तर जिले के ग्राम नेतानार में भूमकाल विद्रोह के जननायक वीर गुण्डाधूर की स्मृति में उनके स्मारक स्थल पर आभार आयोजन किया गया है।

अतिथियों और समाज प्रमुखों द्वारा कार्यक्रम के प्रारंभ में भूमकाल विद्रोह के जननायक वीर गुण्डाधूर की मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया। आभार कार्यक्रम में वीर गुण्डाधूर के वंशजों को शॉल, श्रीफल और स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में 6 स्थानों के नर्तक दलों द्वारा आकर्षक प्रस्तुति दी गई। स्वतंत्रता संग्राम में वीर गुण्डाधूर के योगदान पर परिचर्चा एवं उनके जीवन पर आधारित लघु पुस्तिका (बुकलेट) का वितरण और वीर गुण्डाधूर के योगदान को समर्पित नाटक का मंचन भी किया गया।

संसदीय सचिव श्री रेखचंद जैन ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि वीर गुण्डाधूर आदिवासी अस्मिता के प्रतीक हैं। अंग्रेजों के शासन काल में बस्तर जैसी जगह से 1910 में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह करना और विद्रोह के प्रसार के लिए आम की टहनी, हरी मिर्च का उपयोग करने वाले वीर गुण्डाधूर की स्मृति में राज्य सरकार द्वारा तीरंदाजी अकादमी का नाम शहीद वीर गुण्डाधूर रखा गया है। धुरवा समाज सहित बस्तर संभाग के सर्व आदिवासी समाज ने बस्तर के विकास में अपना अमूल्य योगदान दिया है, जो सराहनीय है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की जनहितैषी नीतियों के कारण बस्तर आज विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है।

कार्यक्रम को जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती वेदवती कश्यप, नगर निगम सभापति श्रीमती कविता कश्यप, पूर्व विधायक श्री अन्तुराम कश्यप ने संबोधित किया। इस अवसर पर जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्री मनिराम कश्यप, जनपद सदस्य श्री नीलूराम बघेल, सरपंच सकुरा नाग सहित धुरवा, भतरा, हल्बा, कोया समाज के प्रतिनिधि, आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान रायपुर के अपर संचालक श्री ए.के. गढ़ेवाल, उपायुक्त आदिवासी विकास श्री विवेक दलेला सहित अन्य अधिकारी और समाज के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।