यूपी बीजेपी को 15 अगस्त के बाद नया प्रदेश अध्यक्ष, चर्चा में केशव मौर्य का नाम सबसे आगे, जानिए क्यों?

 लखनऊ
 
प्रदेश भाजपा में प्रदेश महामंत्री (संगठन)  के रूप में धर्मपाल के नाम की घोषणा के बाद अब बहुत जल्द नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा भी हो जाएगी। पार्टी के राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम तिरंगा यात्रा के बाद यानी 15 अगस्त के बाद कभी भी यह नाम सामने आ सकता है। नए प्रदेश अध्यक्ष का नाम शीर्षस्तर पर तय है। नीचले स्तर पर नामों को लेकर कयासबाजी की दौर तेज हो गया है।

नये प्रदेश अध्यक्ष के नामों को लेकर सबसे अधिक चर्चा में पिछड़ी जाति के नेताओं की है। इसके बाद दलित और ब्राम्हण समाज से भी एक दो नाम इस रेस में चलाए जा रहे हैं। हालांकि जानकारों का मानना है कि भाजपा पूर्व के कई फैसलों की तरह इस बार प्रदेश अध्यक्ष के चयन में भी चौंकाने का काम करेगी। संभव है कोई ऐसा नाम आए जो कहीं चर्चा में भी न रहा हो।
 

भाजपा प्रदेश महामंत्री संगठन की घोषणा के साथ ही बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दिल्ली में थे। माना जा रहा है कि शीर्ष नेतृत्व इनसे प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर चर्चा कर सकता है। इस मुलाकात के साथ ही प्रदेश के नये प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर मुहर लग सकती है, घोषणा 15 अगस्त के बाद होने की बातें कही जा रही हैं। जो भी नया प्रदेश अध्यक्ष बनेगा उस पर मुख्यमंत्री की सहमति भी ली जाएगी।  

कयासों के बीच सबसे अधिक चर्चा में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का नाम है। इनके प्रदेश अध्यक्ष रहते ही 2017 में भाजपा सालों बाद प्रदेश की सत्ता में पूर्ण बहुमत से आई थी। पार्टी का मानना है कि उनकी कार्य़शैली और संगठन के प्रति समर्पण के चलते ही वह सर्वमान्य नेता हैं। लिहाजा, पार्टी इनके अनुभवों का लाभ  2024 में लेना चाहेगी। हालांकि विधान परिषद में नेता सदन की जिम्मेदारी दिए जाने के बाद अब इनके नाम को लेकर संशय भी जताया जा रहा है। पिछड़ा वर्ग से केंद्र सरकार में मंत्री बीएल वर्मा का नाम सबसे सशक्त दावेदारों के रूप में सामने आ रहा है।  दूसरी ओर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र चौधरी का नाम भी चलता रहा है।

इनके अलावा ब्राम्हण नेताओं में पूर्व उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा, सांसद सुब्रत पाठक का नाम भी प्रदेश अध्यक्ष के लिए कुछ लोगों द्वारा समय समय पर चलाया जाता रहा है। दलित वर्ग से सांसद रमाशंकर कठेरिया तथा विनोद सोनकर के नाम भी समय समय पर चलते रहे हैं। इनके अलावा भी कई नामों को लेकर कयासबाजी राजनीतिक हल्के में चल रही है।