लखनऊ
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की नाराजगी के बावजूद केजीएमयू की व्यवस्थाओं में लापरवाही खत्म नहीं हो सकी। इस बदइंतजामी की कीमत सिद्धार्थनगर की महिला को जान गंवाकर चुकानी पड़ी। महिला मरीज तीन घंटे तक एम्बुलेंस में तड़पती रही। घबराया भाई बहन की जान बचाने के लिए दौड़ता रहा मगर कहीं भी सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार में इलाज के अभाव में महिला ने एम्बुलेंस में ही तड़पकर दम तोड़ दिया।
सिद्धार्थनगर निवासी रीमा को रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया था, उन्हें रीढ़ की हड्डी में टीबी भी थी। परिजनों ने स्थानीय कई अस्पतालों में दिखाया, लेकिन फायदा नहीं हुआ। बीते सोमवार रीमा की तबीयत बिगड़ गई थी। परिवार ने मरीज को लखनऊ के अस्पताल में भर्ती कराया, यहां इलाज के बाद मरीज की तबीयत में सुधार नहीं हुआ। परिजन मरीज को लेकर शुक्रवार को केजीएमयू पहुंचे। करीब 10 बजे से परिजन मरीज को भर्ती कराने की जद्दोजहद में लगे रहे, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। भाई राम किशन के मुताबिक ओपीडी में काफी देर लाइन में लगने पर पर्चा बना। डॉक्टरों ने मरीज को इलाज के लिए एम्बुलेंस से उतारकर लाने को कहा।
आधार लगाकर भी समय पर नहीं मिला स्ट्रेचर
भाई का आरोप है कि वे रीमा के लिए स्ट्रेचर-व्हीलचेयर पाने को भटकते रहे, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। एक जगह स्ट्रेचर के लिए आधार जमा हो रहा था तो कार्ड और पैसे जमा किए। 8-10 लोग स्ट्रेचर के लिए कतार में थे। ऐसे में घंटों तक स्ट्रेचर ही नहीं मिला। नतीजतन एम्बुलेंस में दर्द से कराहती रीमा की सांसें थम गईं। परिवारीजनों ने डॉक्टर से मरीज का पोस्टमार्टम के लिए कहा। डॉक्टरों ने कहा, मरीज पहले जिस अस्पताल में भर्ती थी, वहां के डॉक्टरों के लिखने पर पोस्टमार्टम होगा, लिहाजा परिजन मरीज को लेकर चले गए। भाई का कहना है कि समय पर स्ट्रेचर, इलाज मिलता तो शायद बहन की जान बच सकती थी।